प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गुजरात की राजधानी गांधीनगर में अपनी मां हीराबा के चरण धोकर उनका आशीर्वाद लिया। मोदी माता हीराबा के 100वें जन्म दिन के मौके पर अपने छोटे भाई के साथ रह रही मां हीराबा से मिलने शनिवार सुबह उनके घर पहुंचे। यहां के चरणों में बैठकर उन्होंने सहज भाव से मां के चरण धोए। पीएम मोदी करीब 30 मिनट उनके साथ रहे और हीराबा के शतायु होने के अवसर उनके स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की। मां के जन्मदिन पर पीएम मोदी एक ब्लॉग भी लिखा। इस ब्लॉग में पीएम मोदी ने मां हीराबेन की जिंदगी से जुड़े कई किस्से लिखे हैं। चाहे स्वच्छ भारत अभियान हो या स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निजी जिंदगी से लेकर उनके हर फैसले में मां हीराबेन के द्वारा दिए गए संस्कारों की झलक दिखती है। पढ़िए पीएम मोदी का पूरा ब्लॉग:
मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है। जीवन की ये वो भावना होती जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है। दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है। मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है। और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है।
आज मैं अपनी खुशी, अपना सौभाग्य, आप सबसे साझा करना चाहता हूं। मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। यानि उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। पिताजी आज होते, तो पिछले सप्ताह वो भी 100 वर्ष के हो गए होते। यानि 2022 एक ऐसा वर्ष है जब मेरी मां का जन्मशताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है और इसी साल मेरे पिताजी का जन्मशताब्दी वर्ष पूर्ण हुआ है।
पिछले ही हफ्ते मेरे भतीजे ने गांधीनगर से मां के कुछ वीडियो भेजे हैं। घर पर सोसायटी के कुछ नौजवान लड़के आए हैं, पिताजी की तस्वीर कुर्सी पर रखी है, भजन कीर्तन चल रहा है और मां मगन होकर भजन गा रही हैं, मंजीरा बजा रही हैं। मां आज भी वैसी ही हैं। शरीर की ऊर्जा भले कम हो गई है लेकिन मन की ऊर्जा यथावत है। वैसे हमारे यहां जन्मदिन मनाने की कोई परंपरा नहीं रही है। लेकिन परिवार में जो नई पीढ़ी के बच्चे हैं उन्होंने पिताजी के जन्मशती वर्ष में इस बार 100 पेड़ लगाए हैं।
आज मेरे जीवन में जो कुछ भी अच्छा है, मेरे व्यक्तित्व में जो कुछ भी अच्छा है, वो मां और पिताजी की ही देन है। आज जब मैं यहां दिल्ली में बैठा हूं, तो कितना कुछ पुराना याद आ रहा है। मेरी मां जितनी सामान्य हैं, उतनी ही असाधारण भी। ठीक वैसे ही, जैसे हर मां होती है। आज जब मैं अपनी मां के बारे में लिख रहा हूं, तो पढ़ते हुए आपको भी ये लग सकता है कि अरे, मेरी मां भी तो ऐसी ही हैं, मेरी मां भी तो ऐसा ही किया करती हैं। ये पढ़ते हुए आपके मन में अपनी मां की छवि उभरेगी।