गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और उसके लिए अभी से समीकरण तैयार होने लगे हैं। हाल ही में पंजाब जीतकर उत्साहित आम आदमी पार्टी भी गुजरात में अपना विस्तार करने में जुटी है। इसी कड़ी में उसे एक अहम सफलता मिलती दिख रही है। गुजरात में आदिवासी समुदायों के बीच पकड़ रखने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी के नेता महेश वसाना ने सोमवार को अरविंद केजरीवाल से दिल्ली में मुलाकात की। कुछ दिन पहले गुजरात के आप नेताओं ने महेश वसाना और उनके छोटे भाई से भरूच में उनके घर जाकर मुलाकात की थी। इन मुलाकातों के मायने यह निकाले जा रहे हैं कि दोनों दलों के बीच गठबंधन हो सकता है।
आम आदमी पार्टी के नेता पहले ही भारतीय ट्राइबल पार्टी को गठबंधन का न्योता दे चुके हैं। भारतीय ट्राइबल पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था और दो सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि बाद में ट्राइबल पार्टी ने कांग्रेस से दूरी बना ली थी। गुजरात की आम आदमी पार्टी यूनिट ने कहा कि दिल्ली विजिट के दौरान महेश वसाना ने राजधानी के एक स्कूल और मोहल्ला क्लीनिक का भी दौरा किया। महेश वसाना खुद भी देदियापाड़ा सीट से विधायक हैं। महेश वसाना के साथ आम आदमी पार्टी के नात इसुदान गधावी भी गए थे। इस दौरान उन्होंने गुजरात के आदिवासी इलाकों से जुड़े मुद्दों को लेकर बातचीत की।
आदिवासी नेता ने किया दिल्ली के स्कूल का दौरा
आम आदमी पार्टी ने ट्वीट कर कहा, ‘दिल्ली के सरकारी स्कूल का दौरा करने के बाद महेश वसाना ने कहा कि यदि आदिवासी समुदायों के लिए इस तरह के स्कूल तैयार किए जाएं तो उनका विकास हो सकेगा।’ बता दें कि शनिवार को गुजरात में आप के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि हमने भारतीय ट्राइबल पार्टी को गठबंधन के लिए न्यौता दिया है। भारतीय ट्राइबल पार्टी का गुजरात के आदिवासी इलाकों में बड़ा जनाधार माना जाता है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भले ही कांग्रेस राज्य में सरकार नहीं बना पाई थी, लेकिन आदिवासी समुदायों के लिए सुरक्षित 27 सीटों में से 15 पर उसने जीत हासिल की थी।
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस और बीटीपी के बिगड़ गए थे रिश्ते
हालांकि जून 2020 में कांग्रेस और भारतीय ट्राइबल पार्टी के बीच संबंध खराब हो गए थे। दरअसल राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी थी और भारतीय ट्राइबल पार्टी ने उससे दूरी बना ली थी। बीटीपी का कहना था कि हमारा दल भाजपा और कांग्रेस दोनों से ही अलग है, ऐसे में हम किसी के भी साथ नहीं जाना चाहते। यही नहीं बीते साल तो उसने कांग्रेस से नर्मदा और भरूच के जिला पंचायत चुनावों के दौरान नाता ही तोड़ लिया था और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से गठजोड़ कर लिया था।