करहल में अखिलेश Vs अपर्णा पर बीजेपी में माथापच्ची, एक तीर से साधेगी 3 निशाने

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समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मैनपुरी की करहल सीट से सोमवार को नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अभी तक इस सीट से उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। ऐसे में इस बात को लेकर तमाम अटकलें चल रही हैं कि बीजेपी अखिलेश के खिलाफ किसे उतारेगी। मुलायम परिवार के गढ़ करहल को अखिलेश यादव के लिए बेहद सेफ माना जा रहा है। इस सीट पर लंबे समय से सपा का ही कब्जा है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी इस सीट से मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को उतार सकती है, जो हाल ही में भगवा कैंप में शामिल हुई हैं। 

अखिलेश अपनी सीट को लेकर नहीं होंगे निश्चिंत 

अपर्णा को अखिलेश के खिलाफ उतारकर बीजेपी एक तीर से कई निशाने साध सकती है। बीजेपी चाहती है कि कहरल से किसी ऐसे मजबूत उम्मीदवार को उतारा जाए जिससे अखिलेश यादव अपनी सीट को लेकर निश्चिंत ना हो पाएं। बीजेपी के कुछ रणनीतिकारों का मानना है कि अपर्णा यादव इस खांचें में फिट बैठती हैं। मुलायम सिंह यादव के परिवार की होने की वजह से अपर्णा नेताजी की विरासत की हिस्सेदार के तौर पर वोटर्स को लुभा सकती हैं। 

पूरे प्रदेश में जाएगा संदेश

बीजेपी का मानना है कि यदि करहल में अखिलेश और उनके परिवार की सदस्य अपर्णा यादव के बीच सीधी टक्कर होती है तो वह पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनेगा। यह संदेश जाएगा कि अखिलेश यादव के साथ उनका परिवार भी साथ नहीं है।

लखनऊ कैंट सीट पर लड़ाई होगी कम

अपर्णा यादव को अखिलेश के खिलाफ करहल सीट से उतारने से बीजेपी के लिए लखनऊ कैंट सीट पर भी सिरदर्दी कुछ कम हो सकती है। जहां से मौजूदा विधायक अपनी सीट छोड़ना नहीं चाहते तो सांसद रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे के लिए यह सीट चाहती हैं। अपर्णा यादव भी पिछले विधानसभा सीट में लखनऊ कैंट से ही उतरी थीं और एक बार फिर वह इस सीट से लड़ना चाहती हैं।  

करहल से उतरने को तैयार हैं अपर्णा

खुद अपर्णा यादव ने कह दिया है कि वह अखिलेश यादव को सीधी टक्कर देने को तैयार हैं। हाल ही में उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि पार्टी यदि उन्हें करहल सीट से भी उतारती है तो वह लड़ने को तैयार हैं। वह यह भी कह चुकी हैं कि यदि पार्टी उन्हें चुनाव ना लड़ाकर प्रचार कराती है तो करहल सहित सभी सीटों पर प्रचार को भी तैयार हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि पार्टी उन्हें करहल से नहीं लड़ाती है तो भी प्रचार कराकर जरूर अखिलेश की मुश्किलें बढ़ा सकती है।

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