आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी को एक राजनीतिक हथकंडा बताया है। उन्होंने कहा कि सत्येंद्र जैन पूरी तरह बेकसूर हैं और हमें अपनी न्यायपालिका पर भरोसा है।
केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि मैंने व्यक्तिगत रूप से सत्येंद्र जैन की ईडी द्वारा गिरफ्तारी मामले का अध्ययन किया है, यह पूरी तरह से धोखाधड़ी है। हम न तो भ्रष्टाचार करते हैं और ना ही भ्रष्टाचार को सहन करते हैं। हमारे पास एक बहुत ही ईमानदार सरकार है। मुख्यमंत्री ने ईडी की इस कार्रवाई को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों से जोड़ते हुए कहा कि जैन को राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया गया है। हमें अपनी न्यायपालिका पर भरोसा है।
जांच में सहयोग न करने पर सत्येंद्र जैन को किया गिरफ्तार
जनकारी के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार कर लिया था। ईडी का कहना है कि जैन उनके खिलाफ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में केंद्रीय जांच एजेंसी के साथ सहयोग नहीं कर रहे थे। जैन को इस मामले में कथित तौर पर शामिल बताया जा रहा है।
जैन को केंद्रीय एजेंसी ने धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की धाराओं के तहत कोलकाता की एक कंपनी से जुड़े हवाला लेन-देन से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया गया है। जैन की गिरफ्तारी उनके परिवार और कंपनियों के नियंत्रण वाली कंपनियों की 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्की के एक महीने बाद हुई है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अगस्त, 2017 में जैन और उनके परिवार के खिलाफ 1.62 करोड़ रुपये तक की कथित मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि ‘आप’ के नेता और उनके परिवार ने 2011-12 में 11.78 करोड़ रुपये और 2015-16 में 4.63 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के लिए चार शेल कंपनियों बनाई थीं। ईडी ने सीबीआई की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की थी।
ईडी ने वर्ष 2018 में शकूर बस्ती के ‘आप’ विधायक से मामले के सिलसिले में पूछताछ की थी। ईडी ने अपने बयान में कहा कि 2015-16 के दौरान, जब जैन एक लोक सेवक थे, उनके स्वामत्वि वाली और उनके द्वारा नियंत्रित कंपनियों को हवाला के माध्यम से कोलकाता स्थित प्रवेश ऑपरेटरों को कैश ट्रांसफर के बदले शेल कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपये की आवास प्रवष्टियिां प्राप्त हुईं। बयान में कहा गया कि इन राशियों का उपयोग सीधे जमीन की खरीद या दिल्ली और उसके आसपास कृषि भूमि की खरीद के लिए किए गए ऋण की अदायगी के लिए किया गया था।