बीरभूम हिंसाः आग लगने के 10 घंटे बाद घर में दाखिल हुई थी पुलिस, प्रत्यक्षदर्शी का दावा

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पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुए ‘नरसंहार’ की जांच सीबीआई के अपने हाथों ले ली है। दिल झकझोर कर देने वाली इस घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी ने शनिवार को कहा कि दमकल कर्मियों ने जले हुए घरों में प्रवेश करने के लिए दस घंटे तक इंतजार किया था। बताते चलें कि बोगटुई गांव में एक घर के आठ लोगों को जिंदा जलाकर मारने का आरोप है।

 घटना को लेकर रामपुरहाट थाने में तैनात एक उप निरीक्षक जो शिकायतकर्ता भी है, के अनुसार आग लगने के बाद घर में इतनी गर्मी थी कि जले हुए घर के अंदर जाना संभव नहीं था। शिकायतकर्ता ने अपनी प्राथमिकी में कहा है कि वह सूचना मिलने के बाद बोगटुई गांव पहुंचे। पुलिस अधिकारी ने कहा कि टीम को आठ घर मिले और कुछ भूसे के ढेर के कारण आग की चपेट में आ चुके थे। ड्यूटी ऑफिसर सब इंस्पेक्टर रमेश साहा को बुलाया गया और दमकल कर्मियों को सूचित करने के लिए कहा गया।

प्राथमिकी में शिकायतकर्ता के बयान के अनुसार, “भीषण गर्मी के कारण, उस समय उन जले हुए घरों में जाना संभव नहीं था। हालांकि, 22 मार्च (अगले दिन) सुबह लगभग 07.10 बजे घायल और प्रभावित व्यक्तियों की तलाशी प्रक्रिया जारी थी, दमकल कर्मी फिर से पहुंचे। गांव में और हमारे तलाशी अभियान में शामिल हो गए।” 

प्राथमिकी में कहा गया है कि चार लोग झुलस गए थे और उन्हें तुरंत रामपुरहाट मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया। पहली सूचना रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अधिकांश घर पूरी तरह से जल गए थे और तोड़फोड़ की गई थी।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम के रामपुरहाट इलाके में मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता भादू शेख की हत्या के बाद भीड़ द्वारा घरों में आग लगाने के बाद कुल आठ लोगों की मौत हो गई। सीबीआई ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा मामला सौंपे जाने के बाद जांच शुरू कर दी है।

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