महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संकट में कांग्रेस मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ है। पार्टी साफ कर चुकी है कि वह उद्धव ठाकरे के हर फैसले का समर्थन करेगी। पर पार्टी के इस रुख से महाराष्ट्र कांग्रेस के कई नेता सहमत नहीं है। उनका मानना है कि एक हद से आगे बढ़कर शिवसेना का साथ देने से पार्टी को नुकसान हो सकता है। इसलिए, पार्टी को इस मौके का इस्तेमाल खुद को मजबूत करने के लिए करना चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले सहित पार्टी के कई नेता 2024 के लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की वकालत करते रहे हैं। शिवसेना में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद पार्टी के अंदर यह मांग तेज हो गई है। प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि वर्ष 2019 विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 126 सीट पर लड़ा था, इनमें से 113 सीट पर उसका मुकाबला कांग्रेस और एनसीपी से ही था।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि शिवसेना के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाना वक्त की जरुरत थी। पर इस वक्त शिवसेना बहुत कमजोर है। पार्टी विधायक और कार्यकर्ता बंटे हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस को खुद को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि, पिछले चुनाव में करीब दो दर्जन सीट ऐसी थी, जहां शिवसेना ने कांग्रेस को शिकस्त दी। इनमें से एक दर्जन सीट पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी।
ऐसे में पार्टी को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के हर निर्णय का समर्थन करने के ऐलान के बजाए कार्यकर्ताओं की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। क्योंकि, जिन सीट पर शिवसेना की जीत हुई थी, उस क्षेत्र के कार्यकर्ता मायूस हैं। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि एनसीपी के साथ गठबंधन में हम दूसरे नंबर की पार्टी थे, महा विकास अघाड़ी में कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है।
प्रदेश कांग्रेस नेताओं का मानना है कि शिवसेना इस वक्त संकट में हैं। पार्टी के अंदर बगावत लगातार तेज हो रही है। ऐसे में पार्टी को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के हर निर्णय के समर्थन के बजाए दबाव बनाना चाहिए। ताकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी गठबंधन में ज्यादा सीट हासिल की जा सके। पिछले लोकसभा चुनाव में शिवसेना को 18, कांग्रेस को एक और एनसीपी को चार सीट मिली थी।