नई दिल्ली – कोरोना महामारी के दौरान लोगों को बीमारी से बचाने के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके लगाए गए थे. भारत में इसका वैक्सीन का उत्पादन अदार पूनावाला के सीरम इंस्टिट्यूट ने किया था. जिसे बाद में भारत समेत दुनियाभर के करोड़ों लोगों को लगाया गया. महामारी के करीब 4 साल बाद अब एस्ट्राजेनेका ने माना कि उसकी कोविड वैक्सीन लोगों में दुर्लभ दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है.
कोरोना महामारी के दौरान लोगों को बीमारी से बचाने के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके लगाए गए थे. भारत में इसका वैक्सीन का उत्पादन अदार पूनावाला के सीरम इंस्टिट्यूट ने किया था. जिसे बाद में भारत समेत दुनियाभर के करोड़ों लोगों को लगाया गया. महामारी के करीब 4 साल बाद अब एस्ट्राजेनेका ने माना कि उसकी कोविड वैक्सीन लोगों में दुर्लभ दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है. एक कानूनी मामले में एस्ट्राजेनेका ने कबूल किया कि उसकी कोरोना वैक्सीन जिसे दुनियाभर में कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया ब्रांड के नाम से बेचा गया था, वह लोगों में खून के थक्के जमने समेत कई दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है. यानी दूसरे शब्दों में कहें तो हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और प्लेटलेट्स गिरने का कारण बन सकती है. कंपनी ने इसके साथ ही यह भी जोड़ा कि ऐसा बेहद दुर्लभ मामलों में ही होगा और आम लोगों को डरने की जरूरत नहीं है.
ब्रिटेन में जेमी स्कॉट नाम के एक व्यक्ति ने एस्ट्राजेनेका कंपनी के खिलाफ कोर्ट में केस किया है. उनका कहना है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की वैक्सीन लगवाने के बाद वे ब्रेन डैमेज का शिकार हुए थे. उनकी तरह ही कई अन्य परिवारों ने भी वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को लेकर कोर्ट में कंप्लेंट फाइल कर रखी है. उनका कहना है कि यह वैक्सीन लगवाने के लिए उन्हें कई तरह के शारीरिक विकारों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके बारे में पहले नहीं बताया गया था. ये परिवार अब वैक्सीन को लेकर हुई परेशानियों को लेकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं. यूके हाई कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कंपनी ने स्वीकार किया कि बेहद दुर्लभ मामलों में उनकी वैक्सीन थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) की वजह बन सकता है. इसकी वजह से लोगों को हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है. इस कबूलनामे के बावजूद कंपनी लोगों की मुआवजे की मांग का विरोध कर रही है. कंपनी का कहना है कि इतने बड़े लेवल पर टीकाकरण के बाद कुछेक लोगों में यह समस्या हो सकती है.