पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच इस साल दूसरी बार बड़ी जंग होने वाली है। यह मुकाबला कोलकाता नगर निगम के चुनावों में होने वाला है, जहां 19 दिसंबर को 144 सीटों पर मतदान होने वाला है। इस मुकाबले को लेकर तृणमूल कांग्रेस कितनी गंभीर है इसका पता इस बात से लगता है कि उसने कुल उम्मीदवारों में से 45 फीसदी महिलाओं को उतारा है। इसके अलावा 23 अल्पसंख्यक उम्मीदवार भी उतारे हैं। यही नहीं तृणमूल कांग्रेस ने इस चुनाव में परिवहन मंत्री फिरहाद हाकिम समेत 6 विधायकों और एक सांसद को भी चुनावी समर में भेज दिया है। फिरहाद हाकिम को ममता बनर्जी के करीबी नेताओं में शुमार किया जाता है।
फिरहाद हाकिम को ममता बनर्जी ने कोलकाता नगर निकम का प्रशासक भी बना रखा था। पश्चिम बंगाल के ज्यादातर नगर निकायों पर टीएमसी का कब्जा है और सबसे अहम कोलकाता नगर निगम पर वह इस पकड़ को बनाए रखना चाहती है। बंगाल विधानसभा चुनाव की 294 सीटों के चुनाव में टीएमसी ने बड़ी जीत हासिल की थी और अब यह दूसरा मुकाबला है, जब वह भाजपा के खिलाफ उतरने जा रही है। ममता बनर्जी के आवास पर शुक्रवार को हुई तीन घंटे की मीटिंग के दौरान लिस्ट को लेकर यह फैसला लिया गया। इस बैठक में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी समेत कई सीनियर नेता मौजूद थे। इसके अलावा चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी इस मीटिंग का हिस्सा थे।
फिलहाल कोलकाता नगर निगम की 144 में से 126 सीटों पर टीएमसी का कब्जा है। वह एक बार फिर अपनी इस ताकत को दोहराना चाहती है। यही वजह है कि ममता ने विधानसभा चुनाव के बाद से बनी अपनी लहर को बरकरार रखने के लिए पूरा दमखम लगा दिया है। लोकसभा में टीएमसी के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा, ‘पिछली बार हमारे कुल 126 पार्षद चुने गए थे। इनमें से 87 को दोबारा टिकट दिया गया है। इसके अलावा 6 लोगों की सीट बदली गई है। इसके अलावा 39 लोगों को टिकट नहीं मिला है। उन्हें संगठन में जिम्मेदारी दी जाएगी।’
सांसद माला रॉय को भी नगर निगम चुनाव में उतारा
टीएमसी ने जिन्हें चुनावी टिकट दिया है, उनमें से 55 फीसदी यानी 80 कैंडिडेट पुरुष हैं। इसके अलावा 45 फीसदी महिलाएं हैं। 19 उम्मीदवार दलित समुदाय की हैं। इसके अलावा 23 अल्पसंख्यक हैं। दो ईसाई हैं। सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि समाज के सभी वर्गों को हमने टिकट में प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया है। टीएमसी के उम्मीदवारों में एक बड़ा नाम लोकसभा सांसद माला रॉय का भी है। वह पहले भी कालीघाट इलाके की पार्षद रही हैं, जहां सीएम ममता बनर्जी का आवास है। हालांकि राज्यसभा सांसद शांतनु सेन दोबारा मुकाबले में नहीं उतरे हैं।