नई दिल्ली – दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कथित रिश्वत मामले में जेल में बंद सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (POC) अधिनियम के तहत जांच को मंजूरी दे दी है. जैन पर दिल्ली की 70 विधानसभा क्षेत्रों में सीसीटीवी लगाने के लिए 571 करोड़ रुपए की परियोजना के सिलसिले में 7 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप है.
एलजी ने शनिवार को जैन के खिलाफ जांच की मंजूरी के लिए पीओसी अधिनियम, 1998 की धारा 17 ए के तहत मामले को केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजने के डीओवी के प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी. जैन केजरीवाल सरकार में पीडब्ल्यूडी, जीएनसीटीडी मंत्री के साथ-साथ परियोजना के नोडल प्राधिकरण थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली में 1.4 लाख सीसीटीवी लगाने में देरी के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड पर लगाए गए 16 करोड़ रुपए के जुर्माने को माफ करने के लिए रिश्वत ली थी.
यह मामला उस समय सामने आया जब सितंबर 2019 में भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के एक कर्मचारी ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ शिकायत की. कर्मचारी ने आरोप लगाया कि बीईएल के अधिकारियों ने मंत्री को 7 करोड़ रुपए की रिश्वत दी. इसके बाद एंटी करप्शन ब्रांच यानी एसीबी ने इस पूरे मामले की जांच शुरू की और फिर सत्येंद्र जैन को जेल भी जाना पड़ा. सत्येंद्र जैन अभी तक जेल में ही बंद हैं.