गुजरात में 2015 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चेहरा रहे हार्दिक पटेल का नया सियासी कार्ड भाजपा के लिए काफी मुफीद हो सकता है। गुजरात में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले हार्दिक का कांग्रेस छोड़ना और भाजपा के मुद्दों के समर्थन में दिखना, राज्य की राजनीति में एक बड़ा बदलाव का संकेत है। वह देर-सबेर भाजपा में भी शामिल हो सकते हैं, क्योंकि उनकी भाजपा नेताओं से पर्दे के पीछे मुलाकातें होती रही हैं।
मोदी और शाह का जलवा गुजरात से ही जाना जाता है। इस राज्य में जितनी बड़ी जीत होगी राजनीतिक स्थिति संदेश उतना ज्यादा बड़ा जाएगा। गुजरात में आम आदमी पार्टी की दस्तक को देखते हुए भाजपा सतर्क है। आम आदमी पार्टी भी राज्य के पाटीदार समुदाय को लुभाने की कोशिश में जुटी हुई है। पिछली बार भाजपा ने सूरत को साध कर अपनी सरकार बरकरार रखी थी। वह सौराष्ट्र और खासकर राजकोट के पाटीदार समाज को पूरी तरह अपने साथ लाना चाहती है।
बीएल संतोष से मुलाकात
सूत्रों के अनुसार हार्दिक पटेल ने पिछले पिछले दिनों भाजपा के महामंत्री संगठन बीएल संतोष के साथ मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की भी सहमति इस रणनीति में शामिल है। भाजपा ने अभी इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन गुजरात की चुनावी रणनीति देखते हुए भाजपा इस बार पूरी तैयारी से चुनाव मैदान में दिखेगी। इसकी शुरुआत उसने साल भर पहले ही कर दी थी जब राज्य में मुख्यमंत्री समेत पूरे मंत्रिमंडल को ही बदल दिया गया था।
2017 में मिली थी टक्कर
गुजरात की राजनीति में पिछला 2017 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने जीत भले ही लिया था, लेकिन जो टक्कर उसे मिली उससे पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चिंतित रहा। यही वजह है कि गुजरात में पार्टी ने कई बड़े बदलाव किए और विपक्ष की धार को लगातार कुंद करने की कोशिश होती रही। कांग्रेस के कई विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और अब उसके सामाजिक समीकरणों को नुकसान पहुंचाने वाले हार्दिक पटेल का इस्तीफा इसी कड़ी का एक बड़ा हिस्सा है।