कर्नाटक में हिजाब मुद्दे पर हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है, लेकिन इसे लेकर चर्चाएं कम नहीं हुई हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या इस मुद्दे का असर 2023 में होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर भी होगा। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस जैसे दलों का मानना है कि हिजाब मामले का बहुत कम या कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को शैक्षणिक संस्थानों में वर्दी को लेकर राज्य सरकार के आदेश को बरकरार रखा था। साथ ही कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम में अनिवार्य प्रथा नहीं है।
कुछ स्थानीय नेताओं का मानना है कि हिजाब पहने हुई लड़कियों और भगवाधारियों के बीच विवाद भाजपा और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के बीच जारी सियासी जंग का हिस्सा था। SDPI, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की पॉलिटिकल विंग है। खबर के मुताबिक, उडुपी के एक छात्र नेता ने बताया, ‘बीते कुछ सालों में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया और भाजपा के बीच सियासी जंग तेज हुई है। वहीं, SDPI भी भावनाओं को भड़काने में जुटी हुई है और हम इन दिनों कैंपस में इस स्थिति को देख सकते हैं।’
खास बात है कि 6 याचिकाकर्ताओं को ‘सलाह’ देने के लिए हिजाब का मुद्दा CFI और SDPI को ही साथ नहीं लाया, बल्कि बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा युवा मोर्चा भी एकजुट हो गए हैं। छात्र नेता ने कहा, ‘चुनाव विचारधाराओं पर लड़े जाते हैं। यह दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है। हमें पता है कि यह चुनाव का हिस्सा बनेगा। युवा मतदाता निश्चित रूप से इसके बारे में बात करना चाहते हैं।
सियासी प्रभाव को देखें, तो साल 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उडुपी जिले की सभी 5 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, दक्षिण कन्नड़ क्षेत्र में भाजपा ने 8 में से 7 सीटें जीती थी और कांग्रेस के खाते में 1 ही सीट आई थी। हालांकि, इससे पहले वाले चुनाव में कांग्रेस ने उडुपी में 3 औ दक्षिण कन्नड़ में 7 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। दोनों दलों का मानना है कि हिजाब विवाद चुनावी मुद्दा नहीं बनेगा।
भाजपा का विपक्ष पर निशाना
भाजपा के बीसीएम मोर्चा के राष्ट्रीय मुख्य सचिव यशपाल सुवर्ण का मानना है कि हिजाब चुनावी मुद्दा नहीं बनेगा। साथ ही उन्होंने इस मुद्दे को राजनीतिक हवा देने का आरोप कांग्रेस, SDPI और CFI पर लगाया। भाजपा नेता ने कहा कि दक्षिण कन्नड़ PFI और SDPI का कोई जनाधार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘वे फंड जुटाने के लिए धर्म का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। जो इस हिजाब मुद्दे का हिस्सा हैं, वे स्पष्ट रूप से लड़कियों को शिक्षित नहीं होने देना चाहते। वे उन्हें गुलाम की तरह रखना चाहते हैं। अगर वे शिक्षित हो गईं, तो वे पुरुषों से सवाल करेंगी, हैं न।’