राहुल गांधी की भारत यात्रा से ज़्यादा चर्चा इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव और इस चुनाव को लेकर राजस्थान कांग्रेस के अंदर मचे घमासान की हो रही है. लेकिन दक्षिण भारतीय राज्यों में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का असर दिखता है.
7 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई यात्रा के दौरान राहुल गांधी ना केवल 20 से 25 किलोमीटर की रोज़ाना यात्रा कर रहे हैं बल्कि समाज में अलग-अलग वर्गों के लोगों से मिल जुल भी रहे हैं.
30 सितंबर को राहुल गांधी केरल की सीमा पार कर कर्नाटक पहुँच गए हैं और वहाँ भी 21 दिनों तक यात्रा करेंगे. कर्नाटक में सात ज़िलों में 500 से ज़्यादा किलोमीटर की यात्र कर वे अगले चरण में तेलंगाना जाएँगे.
केरल में ए जयशंकर इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ लॉयर्स के महासचिव हैं, उन्हें भी कोच्चि में राहुल गांधी के साथ लंच करने का आमंत्रण मिला था. सात सितंबर को राहुल गांधी ने अपनी पैदल यात्रा तमिलनाडु के कन्याकुमारी शहर से की थी. वे 300 किलोमीटर की दूरी तय करके कोच्चि पहुंचे थे.
उस लंच में किसी ने राहुल गांधी को बताया कि जयशंकर जी का 60वां बर्थडे भी है. जयशंकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्ड होल्डर हैं. लेकिन राहुल गांधी ने अपने केरल कांग्रेस के साथियों से कहा कि हमलोग इनका बर्थडे क्यों नहीं सेलिब्रेट करते. तुरंत केक लाया गया.
जयशंकर बताते हैं, “उन्होंने मुझे केक का एक टुकड़ा दिया. माहौल गर्मजोशी का था, वो एक अच्छे श्रोता भी हैं.” कई अन्य लोगों की तरह भी जयशंकर कांग्रेस पार्टी के समर्थक नहीं हैं. उन्हें यह भी यक़ीन नहीं है कि राहुल गांधी, नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ देश व्यापी स्तर पर चुनौती दे पाएंगे.
हालांकि वे कहते हैं कि राहुल गांधी ने उचित समय पर उचित कदम उठाया है. वे कहते हैं, “ज़रूरत इस बात की है कि वे सभी विपक्षी दलों को 2024 के चुनाव से पहले एकजुट करें. केरल और तमिलनाडु में वे काफी लोकप्रिय हैं और मोदी को चैलेंज भी दे रहे हैं, लेकिन यहां से बाहर उनका कितना असर होगा, मुझे नहीं मालूम है.”
सीपीआई केरल में सत्तारूढ़ गठबंधन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) में शामिल है जो परंपरागत तौर पर कांग्रेस नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की विरोधी रही है और हर पांच साल पर सत्ता में परिवर्तन भी दोनों के बीच होता रहा है.
2019 के आम चुनाव में सीपीएम को महज तीन सीटें मिली थीं- एक केरल से और दो तमिलनाडु से. सीपीआई को महज दो सीटें मिली थीं, और दोनों तमिलनाडु से, लेफ़्ट को तमिलनाडु में ये चार सीटें इसलिए मिली थीं क्योंकि पार्टी का कांग्रेस और डीएमके से गठबंधन था. तमिलनाडु की 39 सीटों में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन ने 38 सीटों पर कामयाबी हासिल की थी जबकि एक सीट अन्ना डीएमके के खाते में गई थी. केरल में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूडीएफ गठबंधन में इंडियन मुस्लिम लीग भी शामिल है जो तमिलनाडु में भी गठबंधन का हिस्सा है.
क्या है कांग्रेस की रणनीति
पी विजयन ने पिछले सप्ताह त्रिचूर की एक रैली में पिछले चुनाव में कांग्रेस डीएमके गठबंधन की जीत के बारे में कहा, “जब राहुल गांधी यहां चुनाव लड़ने आए थे तब हमारे लोगों ने सोचा था कि वे प्रधानमंत्री बनने जा रहे है. लेकिन अब लोगों को महसूस हो चुका है कि वह गलती थी. कांग्रेस अब वही ट्रिक नहीं दोहरा सकती है.”
उन्होंने यूडीएफ के सांसदों की आलोचना करते हुए कहा कि वे ना तो बीजेपी को रोक पाए और ना ही संसद में केरल के मुद्दे को उठा पाए हैं. हालांकि कांग्रेस पार्टी इन आलोचनाओं को आधारहीन बता रही है. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि लेफ्ट गठबंधन केरल में बीजेपी की ए टीम के तौर पर काम कर रहा है.
कांग्रेस पार्टी के केरल अध्यक्ष के सुधाकरण इस बारे में कहते हैं, “जब हम सांप्रदायिक और फासीवादी ताक़तों से लड़ रहे हैं, मुख्यमंत्री बीजेपी की भाषा बोल रहे हैं. वे मोदी और अमित शाह की आलोचना नहीं कर रहे हैं. उनकी तरह ही वे राज्य में मुस्लिमों को आतंक के आरोपों में जेल में डाल रहे हैं.”
केरल में इस यात्रा के लिए राहुल गांधी सात ज़िलों में क़रीब 450 किलोमीटर की यात्रा कर रहे हैं.
एक अक्टूबर को वे कर्नाटक पहुंचेंगे और तब तक केरल में वे 21 दिन पूरे कर चुके होंगे.
कांग्रेस पार्टी यह भी दावा कर रही है कि लोग इस यात्रा से बड़े पैमाने पर जुड़ रहे हैं और अब तक दो लाख लोगों ने यात्रा के लिए पंजीयन कराया है.
राहुल गांधी के तमिलनाडु-केरल और कर्नाटक को अहमित देने की पीछे यह समझना होगा कि तीनों राज्य मिलकर 87 सांसदों को चुनते हैं. तमिलनाडु से 39, कर्नाटक से 28 और केरल से 20. कांग्रेस का इरादा डीएमके साथ मिलकर इनमें से ज़्यादा से ज़्यादा सीटें जीतने की होगी.
पार्टी की रणनीति ये भी हो सकती है कि अगर इन तीनों राज्यों में उनका प्रदर्शन ठीक रहा तो महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर वह अच्छा कर सकती है.
केरल में अपने संबोधनों में समाज सुधारक चत्ताम्बी स्वामीगल, श्री नारायण गुरु और दलित हीरो अय्यानकली का जिक्र करते हैं. यात्रा के अंत में हर दिन वे लोगों को संबोधित करते हुए नफ़रत और बंटवारे की राजनीति पर बोलते हैं, बेरोज़गारी का ज़िक्र करते हैं.
पार्टी की मीडिया एवं पब्लिसिटी विंग के चेयरमैन पवन खेड़ा कहते हैं, “देश को एकजुट करने पर आपत्ति किन लोगों को है? यह यात्रा पार्टी के आम लोगों तक पहुंचने का कार्यक्रम है, जिसमें हम सामाजिक ध्रुवीकरण, आर्थिक असमानता और राजनीतिक केंद्रीकरण की बात कर रहे हैं.”
उत्तर प्रदेश में कम दिन देने पर क्या बोले राहुल
राहुल गांधी अपने संबोधन में आपसी भाईचारे और अहिंसा का जिक्र करते हैं. साथ ही वे बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर देश को धार्मिक तौर पर बांटने का आरोप भी लगाते हैं. साथ ही वे कहना नहीं भूलते कि जो लोग समाज में घृणा, नफ़रत और आक्रोश बढ़ाते हैं, लोग उनको भूल जाते हैं.
कोच्चि में उन्होंने केरल की अपनी यात्रा को कामयाब भी बताया. उन्होंने कहा कि यह काफी उत्साहवर्धक रहा है. हालांकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में ज़्यादा समय नहीं देने पर उन्होंने कहा कि यात्रा के मार्ग को बदलना मुश्किल होगा.
उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में क्या करने की ज़रूरत है, हमारी उस पर नज़र है, स्पष्ट सोच के साथ है. इसलिए उसकी चिंता मत कीजिए.”
राहुल गांधी ने यह भी कहा, “इस यात्रा के दौरान हमलोग देश के एक छोर से दूसरे छोर की यात्रा कर रहे हैं और कई राज्यों में नहीं जा रहे हैं, हम 10.000 किलोमीटर की यात्रा कर भी नहीं सकते हैं.”