रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया में मची उथल-पुथल के बीच भारत अचानक वैश्विक कूटनीति के केंद्र में आ गया है। इस सिलसिले में चीन, मैक्सिको, ब्रिटेन और रूस के विदेश मंत्रियों की भारत यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रूस और ब्रिटेन के विदेश मंत्री गुरुवार की रात भारत पहुंच रहे हैं।
हाल में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत का दौरा किया था। यूक्रेन मसले समेत कई मुद्दों पर भारत से बात की थी। जबकि मैक्सिको के विदेश मंत्री मार्शलो एबरार्ड अभी भारत दौरे पर हैं। मैक्सिको संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य भी है और जी-20 में भी शामिल है। वह भी भारत की तरह ही स्वतंत्र विदेश नीति का पैरोकार है। इस बीच जर्मनी के राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के सलाहकार भी भारत के दौरे पर हैं। अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का भारत दौरा भी होने वाला है।
रूस के विदेश मंत्री आज आ रहे भारत
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बुधवार को बताया कि रूस के विदेश मंत्री सर्गेस लावरोव 31 मार्च से दो दिवसीय भारत यात्रा पर आ रहे हैं। वे अभी चीन यात्रा पर हैं। उनके दौरे को इसलिए अहम माना जा रहा है कि यूक्रेन पर हमले के बाद वह पहली बार आ रहे हैं। इस मामले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के तटस्थ रुख के बाद रूस भारत के साथ अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। रूस की कोशिश है कि भारत तेल और गैस उससे खरीदे, क्योंकि यूरोप में उसकी आपूर्ति घटने जा रही
इसके अलावा हाल में यह भी रिपोर्ट आई हैं कि भारत की रूस से हथियारों की खरीद घटी है। हथियारों की आपूर्ति के मामले में भारत की अपनी चिंताएं भी हैं, क्योंकि एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति में विलंब हो रहा है। भारत चाहता है कि रूस सभी पांच यूनिटों की आपूर्ति जल्द सुनिश्चित करे। इसके अलावा स्विफ्ट पर रोक लगने के बाद भारत और रूस वैकल्पिक भुगतान प्रणाली पर भी चर्चा कर सकते हैं।
रूसी विदेश मंत्री की जयशंकर से मुलाकात तय
रूस के विदेश मंत्री की जयशंकर से मुलाकात तय है। लेकिन प्रधानमंत्री से मुलाकात होगी या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है। सूत्रों ने कहा कि लावरोव की यात्रा ऐसे समय में होने जा रही है जब अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह और ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस भी भारत आने वाली हैं। अमेरिका, ब्रिटेन तथा यूरोप की परोक्ष रूप से कोशिश है कि भारत रूस से तेल खरीद की कोशिश नहीं करे। भारत के तटस्थ रुख से उन्हें उतनी चिंता नहीं है लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में रूस को कारोबारी लाभ पहुंचना इन देशों को रास नहीं आ रहा है।