जस्टिस बोबडे, शाहरुख़ ख़ान से क्या ये अहम काम करवाना चाहते थे ?- प्रेस रिव्यू
हिंदुस्तान टाइम्स, में छपी एक ख़बर के अनुसार शुक्रवार को जस्टिस बोबडे के लिए वर्चुअल विदाई समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि शाहरुख़ ख़ान उनके परिचित हैं इसलिए चीफ़ जस्टिस ने इस मामले में उनसे मदद मांगी थी.
वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस एसए बोबडे चाहते थे कि बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख़ ख़ान अयोध्या मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करें और इसके लिए उन्होंने उनसे मदद भी मांगी थी.
मौजूदा चीफ़ जस्टिस का कार्यकाल शनिवार को ख़त्म हो गया है.
उन्होंने कहा, “जब जस्टिस बोबडे अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही बेंच के एक सदस्य थे, उस समय इस मामले में शुरुआती दौर की बातचीत जारी थी और जस्टिस बोबडे का मानना था कि मामले को मध्यस्थता के ज़रिए सुलझाया जाना चाहिए. मध्यस्थता को लेकर उनकी प्रतिबद्धता को इसी से समझा जा सकता है कि उन्होंने मुझसे पूछा कि अगर बातचीत आगे बढ़ती है तो क्या शाहरुख़ ख़ान इसमें शामिल होना चाहेंगे. वो जानते थे कि मैं शाहरुख़ ख़ान के परिवार को अच्छे से जानता हूं.”
उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्होंने शाहरुख़ से संपर्क किया जो बातचीत का “हिस्सा बनने में इच्छुक” थे, क्योंकि वो मानते थे कि देश हित इसी में है कि हिंदू और मुसलमानों शांति से मिलजुल कर रहें हैं और पूर्ण धार्मिक सद्भाव हो.
अख़बार के अनुसार विकास सिंह ने कहा कि, “शाहरुख़ ख़ान का सुझाव था कि हिंदू मंदिर की आधारशिला कुछ जानेमाने मुसलमान रखें जबकि मस्जिद की आधिरशिला कुछ नामी हिंदू हस्तियां रखें. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई.”
अख़बार की रिपोर्ट को अनुसार उसने इस संबंध में शाहरुख़ ख़ान की प्रतिक्रिया जानने के लिए संपर्क करने की कोशिश की लेकिन ख़बर लिखे जाने तक संपर्क नहीं हो सका.
मार्च 2019 में चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राम जन्मभूमि विवाद के मामले में मध्यस्थता के ज़रिए मामले को सुलझाने की संभावना तलाशने के आदेश दिए थे. इस बेंच में जस्टिस बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नज़ीर शामिल थे.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए तीन सदस्यीय मध्यस्थता कमिटी बनाई थी जिसमें पूर्व जज एफ़एम इब्राहीम कलीफुल्ला, वकील श्रीराम पंचू और आध्यात्मिक गुरु श्री-श्री रविशंकर शामिल थे. कमिटी को आज़ादी थी कि वो मामले का हल खोजने के लिए किसी और को मध्यस्थ के तौर पर कमिटी शामिल कर सकती है और किसी की मदद भी ले सकती है.
अख़बार के अनुसार विकास सिंह ने इस पूरे मामले के बारे में उन्हें जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि जब शाहरुख़ से उनकी बात हुई तो वो पहले तो इसके लिए तैयार नहीं हुए लेकिन बाद में सकारात्मक तरीक़े से इसमें शामिल होने के लिए तैयार हो गए.
उन्होंने कहा, “मैंने उनसे कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को उनकी मदद चाहिए इसलिए वो सहमत हो गए. वो हमेशा से मानते रहे हैं कि हिंदू और मुसलमानों को शांतिपूर्ण तरीके से रहना चाहिए और एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए. इसके बाद ही उन्होंने सुझाव दिया कि आगे का एक रास्ता ये हो सकता है कि हिंदू मंदिर की आधारशिला कुछ मुसलमान रखें और मस्जिद की आधिरशिला कुछ हिंदू रखें. लेकिन बातचीत आगे बढ़ी नहीं.”
विकास सिंह ने कहा कि उनके और चीफ़ जस्टिस बोबडे के बीच एक और “राज़ की बात” है.
उन्होंने कहा, “मैं अपनी हार्ले डेविडसन मोटर साइकल बेचना चाहता था. सब जानते हैं कि चीफ़ जस्टिस को मोटर साइकल का कितना शौक़ है. एक फ्लाइट के दौरान मैंने उन्हें बताया था कि मैं अपनी बाइक बेचना चाहता हूँ. उन्होंने इसे ख़रीदने की इच्छा जताई, जिसके बाद मैंने ट्रायल के लिए उनके पास अपनी बाइक भेजी और उनसे कहा कि ये थोड़ी भारी मोटर साइकल है. उन्होंने मुझसे कहा कि वो बचपन से बाइक चलाते आए हैं. इस बाइक से गिरकर उनके पैर में चोट भी आई थी. उन्होंने बताया कि बाइक के भारी होने के कारण नहीं बल्कि साइड स्टैंड के कारण वो गिर गए थे.”
विकास सिंह ने बताया कि इस कारण न केवल अयोध्या मामले की सुनवाई में क़रीब एक महीने की देरी हुई थी, बल्कि उन्हें अपने बाइक के लिए अलग ख़रीदार भी तलाशना पड़ा था.