लाउडस्पीकर का मामला उछाल ध्यान खींचने लगी MNS, उद्धव के सामने ‘ब्रैंड हिंदुत्व’ का संकट!

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महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं अब शिवसेना पर हिंदू विरोधी होने के आरोप भी लगाए जाने लगे हैं। MNS ने लाउडस्पीकर और हनुमान चालीसा का अजेंडा सेट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब उद्धव ठाकरे भी अपना ब्रैंड हिंदुत्व बचाने में जुट गया हैं और खुद को राष्ट्रवादी साबित करने में लगे हैं। 

नवनीत राणा और रवि राणा की गिरफ्तारी के बाद उद्ध ठाकरे ने कहा था, जो लोग हिंदुत्व के बारे में ज्ञान दे रहे हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि उन्होंने हिंदुत्व के लिए क्या किया? जब बाबरी का ढांचा ध्वस्त किया गया था तो वे कहीं छिपकर बैठे हुए थे। उद्धव ठाकरे ने कहा कि लाउडस्पीकर का मामला सबसे पहले बालासाहेब ठाकरे ने उठाया था और लगभग एक साल पहले शिवसैनिक ही इस मुद्दे को उठा रहे थे। 

दिसंबर 2020 को शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा गया था, ‘केंद्र को एक ऑर्डिनेंस लाना चाहिए और ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए मस्जिदों पर से लाउडस्पीकर हटवाने चाहिए।’

शिवसेना में भी बढ़ रही असंतुष्टि?

शिवसेना की राजनीतिक पहचान को लेकर बहुत सारे पुराने कार्यकर्ताओं के मन में असंतुष्टि है। उनका मानना है कि एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके पार्टी अपने मूलमंत्र से भटक रही है। एक शिवसैनिक ने कहा, हमने हिंदुत्व का अजेंडा नहीं छोड़ा है, फिर भी बहुत सारे कार्यकर्ताओं का मानना है कि सेक्युलर पार्टी के साथ गठबंधन करके हमने अपना ब्रैंड हिंदुत्व छोड़ दिया है। 

नवनीत राणा द्वारा हनुमान चालीसा पाठ के आयोजन के बाद भी शिवसैनिक सड़कों पर उतरे और प्रदर्शन किया। सेना के एक पदाधिकारी ने कहा, यह प्रदर्शन एक राजनीतिक कदम था न कि धार्मिक। उन्होंने कहा, क्या सांसद ने ठाकरे के घर के बाहर हनुमान चालीसा पाठ करवाने से पहले उनकी इजाजत ली थी? राणा दंपती हनुमान चालीसा पाठ से ज्यादा एक राजनीतिक स्टंट कर रहा था। हम मातोश्री के खिलाफ किसी तरह की साजिश बर्दाश्त नहीं कर सकते, वह हमारा मंदिर है।

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