पश्चिम बंगाल विधानसभा का सत्र 10 जून यानी शुक्रवार से शुरू हो रहा है। इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक कदम ने सबको हैरान कर दिया है। गुरुवार शाम वह राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मिलने राजभवन पहुंचीं। उन्होंने राज्यपाल को एक पेंटिंग भेंट की।
सोमवार को ही राज्य की कैबिनेट ने राज्यपाल से विश्वविद्यालयों का आधिकार छीनने वाले विधेयक को मंजूरी दी है। यह विधेयक कानून बनने के बाद धनखड़ 17 विश्वविद्यालयों के चांसलर और 9 निजी विश्वविद्यालयों के विजिटर नहीं रह जाएंगे। ममता सरकार के इस कदम के बाद राजभवन से तनाव बढ़ गया है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जब राजभवन पहुंचीं तो धनखड़ और उनकी पत्नी ने स्वागत किया। उनके साथ मंत्री फिरहद हकीम भी पहुंचे थे। राज्यपाल की तरफ से ट्वीट में बताया गया कि ममता बनर्जी ने उन्हें एक पेंटिंग गिफ्ट कीहै। वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि बनर्जी और हाकिम ने राज्यपाल और उनकी पत्नी का अभिवादन किया।
टीएमसी के एक नेता ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि बनर्जी और धनखड़ के बीच क्या बातें हुईं। यह एक विधानसभा सत्र से पहले एक औपचारिक भेंट थी। जो विधेयक कैबिनेट से मंजूर हुआ है उसे इसी मॉनसून सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल को लेकर सत्ताधारी दल और विपक्षी भाजपा में आमना-सामना हो सकता है।
टीएमसी के मंत्रियों का कहना है कि अगर राज्यपाल विधेयक को मंजूरी नहीं देते हैं तो वे अध्यादेश लाएंगे। हालांकि अध्यादेश को भी राज्यपाल की मंजूरी की जरूरत होती है। तमिलनाडु और गुजरात ऐसे दो राज्य हैं जिनमें राज्य के फंड से चलने वाले विश्वविद्यालयों के कुलपति नियुक्त करने का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है। हालांकि चांसलर राज्यपाल ही रहते हैं। तमिलनाडु में हाल ही में यह बिल पास हुआ है और गुजरात में 2015 में ही यह कानून बन गया था।
राज्यपाल धनखड़ ने कहा था कि उन्हें चांसलर के पद से हटाने के लिए की जा रही यह कोशिश केवल स्कूल सर्विस कमिशन रिक्रूटमेंट स्कैम से ध्यान बंटाने की कोशिश भर है। इसकी जांच सीबीआई कर रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार आसानी से यह बिल पास नहीं करा पाएगी।