राजस्थान सरकार द्वारा पुरानी पेंशन स्क्रीम लागू किए जाने के बाद अन्य राज्यों में भी हलचल नजर आ रही है। विभिन्न राज्यों के कर्मचारी वहां की सरकार से इसे लागू किए जाने की मांग करने लगे हैं। वहीं अनुमान है कि छत्तीसगढ़ में जल्द ही इस बाबत ऐलान हो सकता है। गौरतलब है कि 23 फरवरी को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट पेश करने के दौरान पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से लागू करने की बात कही। एक जनवरी 2004 के बाद नियुक्त करीब 3 लाख कर्मचारी इसके लाभ के दायरे में आएंगे।
चुनावी राज्यों में बना मुद्दा
गौरतलब है कि दिसंबर 2003 में अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को खत्म कर दिया था। इसके बदले में एक अप्रैल 2004 नई पेंशन योजना लागू की गई थी। अब गहलोत सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किए जाने की घोषणा से विभिन्न राज्यों में हलचल मच गई है। वहीं देश भर में यह चर्चा का विषय बन गई है, खासतौर पर उन राज्यों में जहां चुनाव लड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने वादा किया है कि अगर उनकी सरकार बनी तो राज्य में पुरानी पेंशन योजना बहाल हो जाएगी। वहीं मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार भी इसको लेकर जबर्दस्त दबाव में है। यहां पर न सिर्फ विपक्षी दल कांग्रेस बल्कि भाजपा के कुछ विधायक भी कर्मचारी संगठनों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग का समर्थन कर रहे हैं।
भूपेश बघेल भी थे मौजूद
हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल और प्रियंका से दिल्ली में मीटिंग की थी। इस दौरान पुरानी पेंशन योजना पर चर्चा हुई थी। इस मीटिंग के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद थे। ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में भी जल्द ही पुरानी पेंशन योजना के लागू होने की घोषणा हो सकती है। इस मीटिंग के बाद गहलोत ने कहा था कि काफी सोच-विचार के बाद राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना लागू की गई है। उन्होंने कहाकि अन्य राज्यों को भी कर्मचारियों को राहत देने के मकसद से इसे अपनाना चाहिए। गहलोत ने कहाकि रिटायरमेंट के बाद अगर सरकारी कर्मचारी खुद को आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस नहीं करता है तो वह दिल से अपने काम में योगदान नहीं कर पाएगा। यही वजह है कि शुरुआती दिनों में पेंशन लागू की गई थी।
सभी सरकारों को लागू करना चाहिए
गहलोत ने कहाकि ह्यूमन राइट्स कमीशन भी पुरानी पेंशन योजना पर फिर से विचार के लिए कह रहा है। इसके अलावा विभिन्न वर्गों से इस संबंध में मांग की जा रही है। वहीं असम, केरल, आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए रिव्यू कमेटी बनाई गई है। गहलोत ने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि अन्य राज्य भी सरकारी कर्मचारियों के भविष्य के लिए चिंतित हैं। उन्होंने कहाकि कांग्रेस वर्किंग कमेटी तय करेगी कि पुरानी पेंशन योजना देशभर में मुद्दा बने। चाहे कोई राज्य हो, चाहे किसी की भी सरकार हो, उसे इस तरह की योजनाओं को लागू करना ही चाहिए।
गहलोत ने ऐसे जस्टिफाई किया फैसला
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने इस कदम को मानवतावादी फैसला बताया। उन्होंने कहाकि इसको लेकर कर्मचारी लंबे समय से मांग कर रहे थे और यह रिटायरमेंट के बाद उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री ने कहाकि ओपीएस कर्मचारियों और उनके परिवारों के हित में है। अपने एक लेख में फैसले को सही ठहराते हुए गहलोत ने कहाकि 30-35 साल की सर्विस के बाद कर्मचारी के लिए पेंशन ही उसका सहारा बचता है। सरकार कोई भी हो, उसका फर्ज बनता है कि कर्मचारी रिटायर होने के बाद सुरक्षा के साथ जिंदगी जिए, ताकि सुशासन में वह अपनी भागीदारी कर सके। उन्होंने कहाकि यह कहा जा रहा है कि पुरानी पेंशन योजना से सरकारों पर आर्थिक भार पड़ेगा और विकास व कल्याण के काम रुक जाएंगे। लेकिन आलोचक यह भूल जाते हैं कि देश में तब भी कई बेहतर काम हुए हैं जब पुरानी पेंशन योजना लागू थी।