लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा को विपक्ष तूल देने में जुट गया है। यूपी ही नहीं, पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक सभी गैर बीजेपी शासित राज्यों की राजनीति का मुख्य मुद्दा इस समय लखीमपुर खीरी है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी जैसी विपक्षी पार्टियों को लंबे समय बाद बड़ा मुद्दा हाथ लगा है तो हर पार्टी इसे अधिकतम भुनाने में जुट गई है। जिस तरह विपक्षी पार्टियों ने बीजेपी की घेराबंदी शुरू की है इससे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष के लिए यह गेमचेंजर साबित होगा?
लखीमपुर में नेताओं का जमावड़ा
रविवार को लखीमपुर में हुई हिंसा में 4 किसानों सहित 9 लोगों की जान गई है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से चल रहे किसान आंदोलन में राजनीतिक दलों को अभी तक जगह नहीं मिल पाई थी। लेकिन लखीमपुर में हुई हिंसा के बाद योगी सरकार और किसान संगठनों में भले ही सुलह हो गई हो, लेकिन राजनीतिक दलों ने ‘न्याय की लड़ाई’ के लिए लखीमपुर खीरी कूच कर दिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी तो उसी दिन देर रात लखनऊ पहुंच गईं थी, लेकिन सीतापुर में उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी बहन प्रियंका गांधी के अलावा पंजाब और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों को लेकर लखीमपुर पहुंचे तो आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने भी मृतक किसानों के परिजनों से मुलाकात की है। गुरुवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव जाएंगे तो दूसरी विपक्षी पार्टियों के नेता भी कतार में हैं।
पंजाब चुनाव में फायदा उठाने की कोशिश में कांग्रेस?
पंजाब में आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस ने लखीमपुर कांड को दोनों हाथों से लपका है। लखीमपुर खीरी में जो किसान मारे गए हैं, वे सिख थे और कांग्रेस को लगता है कि इनके साथ मजबूती से खड़े रहकर उसे पंजाब में भी सिखों की सहानुभूति हासिल हो सकती है। यही वजह है कि राहुल गांधी लखीमपुर में अपने साथ पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को भी ले गए। लखनऊ एयरपोर्ट पर ही उन्होंने मृतक किसानों के परिवारों के लिए 50-50 लाख रुपए आर्थिक सहायता का ऐलान कर दिया। उधर, पंजाब कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू की अगुआई में मोहाली से लखीमपुर तक मार्च का ऐलान किया है।
महाराष्ट्र में 11 को बंद
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत को लेकर खेद व्यक्त करते हुए बुधवार को एक प्रस्ताव पारित किया। इसके साथ ही महाविकास अघाड़ी में शामिल तीनों दलों शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने 11 अक्टूबर को बंद का ऐलान किया है। महाराष्ट्र में किसानों की बड़ी आबादी को देखते हुए तीनों दल चाहते हैं कि बीजेपी की छवि किसान विरोधी के रूप में पेश की जाए और बंद के जरिए पूरे प्रदेश में संदेश पहुंचाया जाए।