कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उदयपुर के चिंतन शिविर में अपने उद्घाटन भाषण में ही बड़े बदलावों के संकेत दे दिए हैं। सोनिया गांधी ने साफ कहा कि देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है और ऐसे समय में लोगों को कांग्रेस से बड़ी उम्मीद हैं। लेकिन पिछली नाकामयाबियों से आगे बढ़ने के लिए तत्काल कुछ ढांचागत बदलाव करने और काम करने के तरीके में अंतर लाने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने नेताओं से आह्वान किया कि आप लोग यहां कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं और खूब सुझाव दीजिए, लेकिन बाहर एक ही संदेश जाना चाहिए कि हम संगठन के तौर पर एक हैं। इस तरह सोनिया गांधी ने साफ कर दिया कि वह कांग्रेस में बदलावों के लिए तत्पर हैं।
एक तरफ उन्होंने बाहर संगठन के तौर पर ही पेश आने की नसीहत देकर बागियों के लिए लक्ष्मण रेखा खींच दी है। इसके अलावा बदलाव की जरूरक बताकर उन्होंने साफ कर दिया कि संगठन में आमूलचूल परिवर्तन होने वाला है। सोनिया गांधी ने अपने संबोधन से कांग्रेसियों में जोश भरते हुए कहा कि पार्टी ने हम सभी लोगों को बहुत कुछ दिया है और अब हमारी बारी है कि उसका कर्ज लौटाएं। इस तरह सोनिया गांधी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अब वह नई कांग्रेस बनाने के लिए तत्पर हैं। दरअसल बीते कई सालों से कांग्रेस में कुछ असंतुष्ट नेता बदलाव की मांग करते रहे हैं। इसके अलावा हाल ही में पीके से बातचीत के दौरान भी बदलाव के रोडमैप पर आगे बढ़ने की बात हुई थी। हालांकि पीके ने कांग्रेस जॉइन करने का ऑफर ठुकरा दिया था।
सोनिया गांधी के भाषण ने तय किया सुधार का रोडमैप
तब कांग्रेस का कहना था कि हमारे पास बदलाव के लिए जरूरी ताकत और नेतृत्व दोनों हैं। अब सोनिया गांधी के भाषण से साफ था कि वह इस दिशा में बदलाव की ओर बढ़ना चाहती हैं। गौरतलब है कि चिंतन शिविर की शुरुआत से पहले ही मीडिया से बात करते हुए अजय माकन ने कुछ बदलावों का ऐलान किया था। उनका कहना था कि अब कांग्रेस का टिकट लेने के लिए यह जरूरी होगा कि वह व्यक्ति कम से कम 5 साल पार्टी के लिए काम कर चुका हो। हालांकि परिवार का कोई और सदस्य यदि इस शर्त को पूरी करता हो तो उसे छूट रहेगी।
पार्टी के सुधार के लिए क्या संकल्प लेकर लौटेंगे कांग्रेसी
इसके अलावा 50 साल से कम आयु के लोगों के लिए पार्टी के आधे पद रिजर्व रखे जाएंगे। इसके जरिए पार्टी अनुभव और युवा जोश का संतुलन बनाने का प्रयास करेगी। यही नहीं एक फैमिली एक टिकट का फॉर्मूला भी लागू किया गया है। वहीं एक बार पार्टी के पद पर रहने के बाद 3 साल का कूलिंग ऑफ पीरियड भी होगा ताकि अन्य लोगों को मौका मिल सके। सबसे अहम प्रस्ताव यह है कि अल्पसंख्यकों, दलितों एवं ओबीसी वर्गों के नेताओं के लिए 50 फीसदी का आरक्षण तय किया जाए। ऐसे में साफ है कि चिंतन शिविर के समापन पर कांग्रेसी पार्टी के प्रदर्शन में सुधार का कोई संकल्प लेंगे।