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राहुल-लालू की मुलाकात ने महागठबंधन पर छाए संशय के बादलों को दूर कर एनडीए को दिया स्पष्ट संदेश

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लालू-राहुल की मुलाकात से महागठबंधन के भविष्य पर संशय के जो बादल छाने लगे थे वे करीब-करीब छंट गए हैं। राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 18 जनवरी को बिहार आए तो थे आरक्षण रक्षा सम्मेलन में भाग लेने के लिए, लेकिन अपनी इस यात्रा में वे लालू यादव से बिगड़ी बात बना गए।

विरोधी करीब-करीब आश्वस्त हो चले थे कि महागठबंधन में फूट का फायदा उन्हें विधानसभा चुनाव में जरूर मिलेगा, लेकिन पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बयान और अब इसके बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुलाकात ने विरोधियों के मनसूबों पर करीब-करीब पानी ही फेर दिया है।

दूसरी ओर, विरोधियों को संदेश भी मिल गया कि इतना आसान नहीं 25 वर्षों से एक साथ चल रहे दो दलों को अलग करना। दरअसल, वर्षों से साथ चल रहे राजद-कांग्रेस में उस वक्त दूरी बढ़ती दिखी जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आईएनडीआईए के नेतृत्व पर सवाल उठाए और खुद नेतृत्व संभालने की इच्छा जाहिर की।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने भी कांग्रेस के साथ अपने और पार्टी के संबंधों की परवाह किए बिना तत्काल ममता बनर्जी का समर्थन किया और कहा कि वे आईएनडीआईए का नेतृत्व करने में सक्षम हैं और उन्हें यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।

बात नहीं रुकी। जो कसर बच रही थी उसे तेजस्वी ने यह कहकर पूरा कर दिया कि आईएनडीआईए का गठन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था। बिहार के दो प्रमुख नेताओं का ऐसा बयान आने के बाद भी राहुल गांधी ने धैर्य बनाए रखा। उनकी या उनकी पार्टी की ओर से इस बयान का कोई विरोध नहीं किया गया।

आईएनडीआईए में चल रही इस राजनीतिक बयानबाजी को एनडीए एलायंस अपने फायदे से जोड़कर देख रहा था, लेकिन इस बीच राहुल गांधी की बिहार यात्रा ने पूरी कहानी ही उलट दी।

अपनी पटना यात्रा के दौरान राहुल गांधी बिना विलंब किए पहले होटल मौर्या में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मिलने पहुंच गए और बाद में उसी शाम दिल्ली रवानगी से पूर्व पर्याप्त समय निकाल वे राबड़ी देवी के 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास में लालू प्रसाद से जा मिले।

लालू प्रसाद ने भी पूरी आत्मीयता से राहुल गांधी का स्वागत किया। उन्हें हरा चना और भुंजा खिलाया। अपनी गायों से मिलाया और विधानसभा चुनाव पर भी संक्षिप्त चर्चा कर ली।

आईएनडीआईए के इन दो प्रमुख नेताओं की इस मुलाकात से जो संदेश गया उसका मतलब स्पष्ट है कि विधानसभा चुनाव में दोनों दल साथ मिलकर पूर्व की भांति चुनाव लड़ेंगे और सीटों को लेकर भी विवाद की नौबत नहीं आएगी। लालू-राहुल की मुलाकात के बाद इनकी दोस्ती का अब नए सिरे से आकलन किया जा रहा है।

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