उत्तर प्रदेश में चार चरणों के मतदान संपन्न हो चुके हैं। प्रतापगढ़ के कुंडा को कथित तौर पर ताकतवर कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का गढ़ माना जता है। यहां दशकों से ‘राजा बनाम अन्य’ की लड़ाई चली आ रही है। इस चुनाव में यहां की लड़ाई को ‘ठाकुर बनाम यादव’ बनाने की कोशिश की जा रही है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि वर्षों बाद समाजवादी पार्टी ने राजा भैया के पूर्व सहयोगी गुलशन यादव को चुनावी अखाड़े में उतारने करने का फैसला किया है।
आपको बता दें कि दो दशकों से सपा ने राजा भैया के खिलाफ इस सीट से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। राजा भैया, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव दोनों की सरकारों में मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, दोनों की राह उस समय अगल हो गई जब राजा भैया ने कथित तौर पर 2018 में भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया। उसके बाद से दुश्मनी बढ़ती गई। अखिलेश यादव ने पिछले साल प्रतापगढ़ में ही उन्हें सार्वजनिक रूप से पहचानने से इनकार कर दिया। अखिलेश यादव ने कहा, “राजा भैया…कौन राजा भैया?” राजा भैया ने 2018 में अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की स्थापना की और इस बार 18 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।
सपा अपने यादव-मुस्लिम समीकरण पर काफी हद तक भरोसा करते हुए समर्थन हासिल करने की पूरी कोशिश कर रही है। इस निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 3.51 लाख मतदाता हैं। यहां सबसे प्रभावशाली गुट यादवों का है। इनकी संख्या 80,000 के करीब है। इसके बाद यहां ब्राह्मण और पटेल हैं। इस सीट पर केवल 10,000 ठाकुर हैं। राजा भैया ने 2017 में 1.35 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी। गुलशन यादव नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष हैं। दूसरी ओर बीजेपी ने शिव प्रकाश मिश्रा सेनानी की पत्नी सिंधुजा मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है, जिन्होंने पहले यादव के खिलाफ बसपा का प्रतिनिधित्व किया है। बसपा ने मोहम्मद फहीम को उम्मीदवार बनाया है।
ग्राम प्रधान सौरभ सिंह ने कहा, “हो सकता है कि वह इस बार 1.5 लाख वोटों से नहीं जीतेंगे। यह एक ऐसा लक्ष्य है, जिसे यहां के स्थानीय लोग चाहते हासिल करना चाहते हैं। राजा भैया को कोई हराने वाला नहीं है।”