रूस ने शुक्रवार को बहुत बड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि, अगर जी-7 देशों का रूसी तेल पर लगाया गया प्राइस कैप उचित नहीं होगा, तो वो वैश्विक बाजार में तेल की आपूर्ति बंद कर देगा।
रूस की ये धमकी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगर रूस तेल की आपूर्ति वास्तव में बंद करता है, तो कई देश इससे बुरी तरह से प्रभावित होंगे। इसके साथ ही रूस की तरफ से पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई मुलाकात के दौरान पीएम मोदी के ‘युद्ध का युग नहीं है’ वाले बयान पर भी जवाब आया है।
जी7 देशों को रूस की चेतावनी
रूसी तेल पर प्राइस कैप को लेकर भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलिपोव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि, “अगर हमें ऐसा लगता है कि, प्राइस कैप हमारे लिए उचित नहीं हैं और हमारे लिए अस्वीकार्य हैं, तो हम वैश्विक बाजारों और उन देशों को तेल की आपूर्ति बंद कर देंगे जो मूल्य सीमा पर अमेरिकी पहल में शामिल होते हैं।” उन्होंने कहा कि रूस अपने व्यापारिक हितों के लिए हानिकारक किसी भी तंत्र का पालन नहीं करेगा। आपको बता दें कि, पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के रूस पर बहुत कम प्रभाव पड़े हैं, लिहाजा अब जी -7 देशों और यूरोपीय संघ ने क्रेमलिन के राजस्व को सीमित करने के लिए रूसी कच्चे और रिफाइंड उत्पादों पर तेल की कीमत की सीमा तय की है। इस महीने की शुरुआत में, जी -7 वित्त मंत्रियों द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था कि मूल्य सीमा विशेष रूप से रूसी राजस्व को कम करने और यूक्रेन युद्ध को वित्त पोषित करने की क्षमता को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई थी। जिसको लेकर अब रूस की चेतावनी आई है।
क्या प्राइस कैप में शामिल होगा भारत?
भारत में रूसी राजदूत अलीपोव ने कहा कि, प्राइस कैप से वैश्विक बाजारों में तेल की कीमत काफी में भारी इजाफा हो जाएगा और वैश्विक बाजार में तेल की काफी कमी हो जाएगी। वहीं, अमेरिका ने भारत से रूसी तेल की कीमतों को सीमित करने के लिए गठबंधन में शामिल होने के लिए कहा है, लेकिन नई दिल्ली ने कहा है कि वह कोई भी निर्णय लेने से पहले प्रस्ताव की “सावधानीपूर्वक जांच” करेगा। अलीपोव ने कहा कि, “भारत ने अब तक इस विचार के प्रति सावधानीपूर्वक रुख अपनाया है। यह भारतीय हित के लिए फायदेमंद नहीं होगा।” (अगर शामिल होता है) आपको बता दें कि, प्राइस कैप एक्टिव होने के बाद भारत के लिए रूस से तेल खरीदना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि ज्यादातर तेल परिवहन करने वाले जहाज पश्चिमी देशों के हैं और प्राइस कैप लगने के बाद उन जहाजों से परिवहन नहीं होगा और अगर परिवहन के लिए उन जहाजों का इंश्योरेंस भी नहीं हो पाएगा, क्योंकि इंश्योरेंस कंपनियां भी पश्चिम ही हैं, लिहाजा अगर भारत जी7 देशों के प्राइस कैप में नहीं भी शामिल होता है, फिर भी भारत रूस से ज्यादा तेल नहीं खरीद पाएगा।
‘युद्ध का युग नहीं है..’ पर बयान
वहीं, रूस की तरफ से पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेश शिखर सम्मेलन से इतर हुई मुलाकात के दौरान पीएम मोदी के ‘युद्ध का युग नहीं है’ बयान पर भी रूस की प्रतिक्रिया आई है, जिसे पश्चिमी देशों ने अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश की है। पीएम मोदी के इस बयान को अमेरिकी अखबारों ने फ्रंट पेज पर छापा और लिखा कि, ‘भारत ने रूस को करारा जवाब दिया है’, वहीं, संयुक्त राष्ट्र में भी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पीएम मोदी के उस बयान की तारीफ की और कहा कि, भारतीय प्रधानमंत्री ने सही कहा था, कि आज का युग युद्ध का नहीं है। वहीं, भारत में रूसी राजदूत ने पीएम मोदी के बयान पर पश्चिमी देशों की बैटिंग को लेकर कहा कि, पीएम मोदी की टिप्पणी इस मुद्दे पर भारत की स्थिति के मुताबिक ही है और भारत लगातार अपने स्टैंड पर ही कायम रहा है।
रूसी राजदूत ने क्या कहा?
रूसी राजदूत ने कहा कि, “पश्चिम केवल उन उद्धरणों का उपयोग करता है, जो अन्य उनके अनुरूप होते हैं।” उन्होंने कहा कि, समरकंद में पुतिन के साथ एक बैठक के दौरान, मोदी ने रूसी नेता से कहा था कि “आज का युग युद्ध का नहीं है”, इस टिप्पणी को विश्व नेताओं के एक वर्ग ने सार्वजनिक फटकार के रूप में देखा। वहीं, पाकिस्तान द्वारा यूक्रेन को हथियार हस्तांतरित करने की खबरों पर अलीपोव ने कहा कि अगर इस तरह की डिलीवरी हुई है तो इसका पाकिस्तान के साथ रूस के संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। रूसी दूत ने कहा, “अभी तक ऐसी अपुष्ट खबरें आई हैं। मुझे तथ्यों के बारे में पता नहीं है। अगर इसकी पुष्टि होती है तो पाकिस्तान के साथ हमारे संबंधों पर असर पड़ेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।”