एसपी सिंह बघेल का पुलिस इंस्पेक्टर से केंद्रीय मंत्री बनने का सफर

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दिल्ली/लखनऊ । प्रो. एस.पी. सिंह बघेल (सत्य प्रकाश बघेल) ने मोदी सरकार 3.0 में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में पद व गोपनीयता की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एसपी सिंह बघेल को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। बघेल ने हिन्दी में शपथ ली।

वर्तमान में आगरा से भाजपा के लोकसभा सांसद हैं। एसपी सिंह बघेल चौथी बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं। वह एक बार राज्यसभा के लिए भी चुने जा चुके हैं। मोदी सरकार 2.0 में एसपी सिंह बघेल ने राज्य मंत्री के रूप में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विधि और न्याय मंत्रालय का पदभार संभाला है। इस बार उनका कद बढ़ाकर उन्हें राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है।

उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर से लोकसभा सांसद तक का सफर अप्रत्याशित तरीके से तय करने वाले प्रो.बघेल भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर आगरा लोकसभा सीट से मैदान में थे। इटावा जिले के भटपुरा उमरी के गड़रिया परिवार में पैदा हुए प्रो.बघेल के पिता रामभरोसे सिंह मध्य प्रदेश पुलिस में थे और उनकी ज्यादातर पोस्टिंग ग्वालियर एवं आसपास के जिलों में रही। 21 जून 1960 में पैदा हुए बघेल बचपन से ही निडर और अक्खड़ थे। जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही वह उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा बन गए।

उनकी क्षमता को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री के सुरक्षा दस्ते में भेज दिया गया। पहले वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के सुरक्षा दस्ते में थे। वहीं जब मुलायम सिंह यादव सीएम बने तो उनकी सुरक्षा दस्ते में भी इन्हें भेजा गया। इसी दौरान साल 1989 में वह मुलायम सिंह यादव की नजरों में आ गए और उन्होंने बघेल की प्रतिभा को पहचाना। एक दिन बात ही बात में मुलायम सिंह यादव ने बघेल को राजनीति में आने का न्यौता दे दिया। बघेल ने भी इसे अवसर समझा और पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देकर सपा के बैनर तले राजनीति के मैदान में कूद पड़े।

पुलिस की नौकरी करते हुए बघेल ने कानून में स्नातक, विज्ञान में स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। उनकी शिक्षा दीक्षा मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित महाराजा जीवाजी राव विश्वविद्यालय और उत्तर प्रदेश के मेरठ यूनिवर्सिटी में हुई। वह साल 1998 के लोकसभा चुनावों में पहली बार सपा के ही टिकट पर जलेसर सीट से मैदान में उतरे और भारी अंतर से जीत कर संसद पहुंच गए। इसके बाद वह सपा के ही टिकट पर 1999 और 2004 के लोकसभा चुनावों में भी जीत कर संसद पहुंचे। इसी दौरान कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए कि सपा ने इनके खिलाफ अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर पार्टी से निकाल दिया।

ऐसे में उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया और साल 2010 में बसपा की ओर से राज्यसभा पहुंचे। साल 2014 के लोकसभा चुनावों में वह बसपा के टिकट पर फिरोजाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन सपा के अक्षय यादव के सामने वह चुनाव हार गए। इस हार के बाद उन्होंने बसपा और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। यहां उन्हें पहले पिछड़ा मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया और फिर बिहार में विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक बनाया गया। साल 2017 में वह भाजपा के टिकट पर टूंडला विधानसभा सीट से जीतकर योगी सरकार में मंत्री भी बने।

वहीं साल 2019 में वह बीजेपी के ही टिकट पर आगरा लोकसभा क्षेत्र से जीत कर फिर से संसद पहुंचे थे। हालांकि उन्हें आगरा सीट से चुनाव लड़ाने के लिए बीजेपी ने आगरा के सीटिंग सांसद और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रामशंकर कठेरिया का टिकट काटना पड़ा था। 1989 में ही मधु बघेल से प्रेम विवाह किया था। कोरोना काल में सत्यप्रकाश बघेल एक दिन भी घर में नहीं बैठे, बल्कि लगातार वह घर घर जाकर लोगों की सेवा में जुटे रहे। इसकी वजह से यहां के लोग उन्हें काफी पसंद करते हैं।

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