उत्तर प्रदेश की सियासत में ऐसी तमाम सीटें हर विधानसभा चुनाव में रहती हैं, जिनमें हार और जीत के कयास लगते रहते हैं। लेकिन प्रतापगढ़ जिले की कुंडा सीट अपवाद रही है। यहां से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया लगातार 6 चुनाव निर्दलीय जीते हैं और हर बार अंतर बढ़ता ही रहा है। इस बार वह अपनी नई बनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के बैनर तले उतरे हैं। माना जाता रहा है कि उनका चुनाव महज औपचारिकता है और जीत तय रहती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। साल 1993, 1996, 2002, 2007, 2012 और 2017 के चुनावों को बड़े अंतर से जीतने वाले राजा भैया के सामने इस बार चुनौती पेश कर रहे हैं, उनके ही पुराने साथी गुलशन यादव।
गुलशन यादव को सपा ने उम्मीदवार बनाया है, जो यहां से कैंडिडेट ही नहीं घोषित करती थी। कुंडा सीट पर 27 फरवरी को मतदान होने वाला है। 2007 में बसपा, 2012 में सपा और 2017 में भाजपा की लहर के बाद भी बड़े मार्जिन से राजा भैया जीतते रहे हैं। इस बार उनके ही साथी रहे गुलशन उम्मीदवार जमकर उन पर हमला बोल रहे हैं। यही नहीं यादव बिरादरी के इस सीट पर अच्छे खासे वोट हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि राजा भैया के लिए इस बार का मुकाबला पहले जैसा आसान नहीं रहने वाला है। यही नहीं भाजपा ने भी उन्हें वॉकओवर न देते हुए सिंधुजा मिश्रा के तौर पर मजबूत उम्मीदवार दिया है। वह पहले बसपा के टिकट पर रघुराज को चुनौती दे चुकी हैं। वहीं बसपा ने जिला पंचायत सदस्य मोहम्मद फहीम को मुकाबले में उतार दिया है।
इस बार क्यों राजा भैया के आगे खड़ी हुई मुश्किल
प्रतापगढ़ के सरकारी कॉलेज के टीचर जेपी मिश्रा बताते हैं, ‘पहले के चुनावों में कुंडा के विधायक को ओबीसी और मुस्लिम वर्ग के लोगों के भी वोट मिलते थे। इसकी वजह यह थी कि सपा अपना उम्मीदवार यहां नहीं उतारती थी। लेकिन इस बार सपा ने मजबूत उम्मीदवार दिया है। ऐसे में इस बार राजा भैया के सामने जीत हासिल करने की चुनौती होगी।’ दरअसल 2018 के राज्यसभा चुनाव के बाद से अखिलेश और राजा भैया के बीच रिश्ते बिगड़ गए हैं। ऐसे में उन्होंने कुंडा सीट को प्रतिष्ठा का विषय मान लिया है और उनके खिलाफ मजबूत कैंडिडेट दिया है।
जब अखिलेश यादव ने बोला, कौन हैं राजा भैया
दोनों के बीच रिश्ते किस हद तक बिगड़े हैं, इसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि बीते साल नवंबर में वह जब प्रतापगढ़ पहुंचे तो राजा भैया के बारे में पूछने पर कहा कि आप किसके बारे में बात कर रहे हैं। उनके इस बयान से साफ था कि राजा भैया के साथ उनके संबंध अभी सामान्य नहीं हुए हैं।
राजा भैया की पार्टी ने उतारे हैं 20 उम्मीदवार
फिलहाल रघुराज प्रताप सिंह कुंडा में चुनाव प्रचार में जुटे हैं। यही नहीं 20 उम्मीदवार उन्होंने दूसरी सीटों पर भी उतारे हैं। इसके अलावा अपनी पार्टी के प्रचार के लिए भी वह आसपास के जिलों में जा रहे हैं। निर्दलीय विधायक विनोद सरोज बाबागंज सीट से इस बार जनसत्ता दल के टिकट पर उतरे हैं। हालांकि अब लगता है कि राजा भैया को दूसरी सीटों के अलावा अपने इलाके में भी समय देना होगा। भदरी रियासत के वारिस राजा भैया ने नवंबर 2018 में अपनी नई पार्टी का गठन किया था। इसके बाद उन्होंने सूबे के कई इलाकों में जनसेवा संकल्प यात्रा भी निकाली थी। जनसत्ता दल के महासचिव कैलाश नाथ ओझा ने कहा, ‘रघुराज सिंह ने 2007 में कुंडा सीट से 50 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। इसके बाद 2012 में यह आंकड़ा बढ़कर 80 हजार हो गया। फिर 2017 में यह और बढ़ा तो एक लाख के पार हो गया। इस बार भी वह आसानी से जीत हासिल कर लेंगे।’