श्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में सोमवार रात को जो भीषण हिंसा हुई थी, उसकी परतें अब खुल रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि टीएमसी के पंचायत लीडर भादू शेख की अवैध खनन की कमाई को लेकर हत्या हुई थी और फिर उसी के बदले में यह हिंसा भड़क गई, जिसमें 10 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई। उपद्रवियों ने कई घरों को आग लगा दी, जिसमें से एक ही घर में 7 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई। बंगाल सरकार का कहना है कि 8 लोगों की आग में जलकर मौत हुई है, जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि 10 लोगों की मौत हुई है। यही नहीं इन लोगों का कहना है कि मरने वाले सभी लोग महिला और बच्चे हैं।
पुलिस पर ऐक्शन न लेने का आरोप, अवैध कमाई बनी काल
यही नहीं बोगतुई गांव में सोमवार की रात को जो हिंसा हुई है, उसे लेकर कहा जा रहा है कि इसकी आशंका लंबे समय से थी। इस पूरे कांड में पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि पुलिस ने मंगलवार की रात तक कोई ऐक्शन नहीं लिया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह पूरा मामला टीएमसी के ही समर्थक दो परिवारों और उनके समर्थकों के बीच आपसी रंजिश का है। इस रंजिश की जड़ में नदी किनारे से रेत के अवैध खनन से होने वाली कमाई है। इसके अलावा पत्थरों से होने वाली कमाई भी इसकी एक वजह है।
एक साल पहले हुआ था टीएमसी नेता के भाई का मर्डर
कहा जा रहा है कि इसी के चलते बीरभूम जिले की बारशल ग्राम पंचायत के उप-प्रधान भादू शेख की सोमवार को हत्या हुई थी। बाइक सवार 4 लोग उनके ऊपर बम फेंक कर भाग गए थे और अस्पताल ले जाते वक्त ही उनकी मौत हो गई थी। भादू शेख के भांजे सुजान शेख ने कहा कि उन्हें काफी समय से धमकियां मिल रही थीं। वह अपने मामा की हत्या के गवाह भी हैं। इससे पहले बीते साल जनवरी में भादू शेख के भाई की हत्या भी इसी गांव में हो गई थी। परिवार के लोगों का कहना है कि तब हत्या के दो आरोपियों को अरेस्ट किया गया था, जबकि बाकी लोग गांव ही छोड़कर भाग गए थे।
सुजान शेख ने कहा कि सोमवार की रात को मेरे मामा एक टी स्टॉल पर बैठे थे। इसी दौरान बाइक सवार कुछ लोग आए और उनके ऊपर बम फेंक दिया। इसके अलावा तीन गोलियां भी चलाई थीं। मेरे मामा को काफी समय से जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं। सुजान ने कहा कि मुझे भी इस तरह की धमकियां मिली थीं। उन्होंने प्रतिद्वंद्वी ग्रुप के पलाश शेख पर आरोप लगाया कि उसने रविवार को ही कहा था कि वह मेरे मामा की हत्या कर देगा। भादू शेख के भाई मुहम्मद नूर अली ने भी इसी तरह का आरोप लगाया है। यही नहीं सुरक्षा की कमी होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने गांव ही छोड़ दिया है।