भाजपा शासित राज्यों में चुनाव लड़ने की अपनी योजना को आगे बढ़ाते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने सोमवार को अपनी पार्टी के संविधान में संशोधन करने का फैसला किया ताकि अन्य राज्यों के नेताओं को संचालन समिति में शामिल किया जा सके, जिसकी अभी तक वो प्रमुख रही हैं।
यह निर्णय ममता बनर्जी के दक्षिण कोलकाता स्थित आवास पर आयोजित संचालन समिति की बैठक में लिया गया। जहां उन्होंने कांग्रेस के साथ संबंध तोड़ने के बाद 1998 में टीएमसी के गठन की घोषणा की थी। तब से पार्टी के नेताओं ने सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाली ममता बनर्जी के साथ टीएमसी को आगे बढ़ाया है।
सोमवार की बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री और मार्च में टीएमसी में शामिल हुए यशवंत सिन्हा, जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व राज्यसभा सदस्य पवन वर्मा, हरियाणा के पूर्व कांग्रेस सांसद अशोक तंवर, मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने भाग लिया। 24 नवंबर को 11 कांग्रेस विधायकों और टीएमसी के शीर्ष नेताओं के साथ पूर्व टेनिस स्टार लिएंडर पेस टीएमसी में शामिल हुए थे
बैठक के बाद राज्यसभा में टीएमसी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, “अभी टीएमसी संचालन समिति के सभी सदस्य पश्चिम बंगाल से हैं। चूंकि हमारी पार्टी अब अन्य राज्यों में विस्तार कर रही है, इसलिए नेतृत्व ने आज संविधान में संशोधन करने का फैसला किया ताकि सभी क्षेत्रों के नेताओं को संचालन समिति में शामिल किया जा सके”। ओ ब्रायन ने आगे कहा, “संविधान कैसे और कब संशोधित किया जाएगा, यह ममता बनर्जी को तय करना है। संचालन समिति की अगली बैठक दिल्ली में होगी। ये परिवर्तन आवश्यक हैं क्योंकि टीएमसी राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार कर रही है।”
यह पहली बार है जब उत्तर-पूर्व और हिंदी पट्टी के नेताओं को टीएमसी की संचालन समिति में जगह मिलने की संभावना है जो सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। पार्टी नेताओं ने कहा कि ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन मुद्दों पर पार्टी को सलाह दे रहे हैं। किशोर पिछले छह महीने से क्षेत्रीय नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।
नाम न जाहिर करने की शर्त पर तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि मुकुल संगमा को मेघालय और कम से कम एक और पूर्वोत्तर राज्य में पार्टी का प्रभारी बनाए जाने की संभावना है, जबकि असम से लोकसभा सदस्य सुष्मिता देव ने कांग्रेस छोड़ दी है। वो अगस्त में टीएमसी में शामिल हुई थी, उन्हें त्रिपुरा और असम में टीएमसी इकाइयों का नेतृत्व करने के लिए कहा जा सकता है। टीएमसी ने पहले ही त्रिपुरा में एक अलग संचालन समिति का गठन किया है।
वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को पार्टी में विस्तार योजना के पीछे प्रेरक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने अक्टूबर में घोषणा की थी कि टीएमसी एक साल के भीतर 15 राज्यों में कामकाजी इकाइयां स्थापित करेगी। उन्होंने त्रिपुरा नगर निकाय चुनाव के प्रचार अभियान का भी नेतृत्व किया, जिसके नतीजे रविवार को घोषित किए गए। टीएमसी जो छह महीने से भी कम समय पहले त्रिपुरा में एंट्री पाई। कुल वोट शेयर मामले में सीपीआई माले को पछाड़कर दूसरे स्थान पर रही है। हालांकि सिर्फ एक ही सीट जीत सकी।
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हालांकि सोमवार की बैठक के बाद मीडिया से नहीं मिलीं। नाम न जाहिर करने की शर्त पर तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य कार्यसमिति की अगली बैठक के दौरान बंगाल में भी संगठन में बदलाव किया जाएगा।