राजस्थान में आज कैबिनेट का विस्तार है। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में फेरबदल के तहत 15 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी। इसमें 11 कैबिनेट और चार राज्य मंत्री होंगे। शपथ ग्रहण समारोह रविवार शाम चार बजे राजभवन में होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से मिली जानकारी के अनुसार, कैबिनेट मंत्री के रूप में हेमाराम चौधरी, महेंद्रजीत मालवीय, रामलाल जाट, महेश जोशी, विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा, ममता भूपेश, भजनलाल जाटव, टीकाराम जूली, गोविंद राम मेघवाल व शकुंतला रावत को शपथ दिलाई जाएगी। वहीं, विधायक जाहिदा खान, बृजेंद्र ओला, राजेंद्र गुढ़ा व मुरारीलाल मीणा को राज्य मंत्री के रूप में शपथ दिलाई जाएगी।
इस सूची में पायलट खेमे से हेमाराम चौधरी, रमेश मीणा, मुरारीलाल मीणा व बृजेंद्र ओला का नाम है। वहीं, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से कांग्रेस में आए छह विधायकों में से राजेंद्र गुढ़ा को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी। पिछले साल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावती रुख अपनाए जाने के समय तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ साथ विश्वेंद्र सिंह व रमेश मीणा को उनके पद से हटा दिया गया था। इनमें से विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा का नाम उन मंत्रियों की सूची में शामिल है जिन्हें शपथ दिलाई जाएगी।
इससे पहले, शनिवार शाम मंत्रिमंडल की बैठक में सभी मंत्रियों ने अपने इस्तीफे सौंप दिए। मुख्यमंत्री गहलोत रात में राजभवन में राज्यपाल कलराज मिश्र से मिले। बैठक के बाद राजभवन के बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्यपाल मिश्र से मुलाकात कर, कैबिनेट मंत्री रघु शर्मा, हरीश चौधरी और राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के इस्तीफे सौंपे।
बयान के अनुसार राज्यपाल मिश्र ने मुख्यमंत्री की संस्तुति पर ये इस्तीफे तत्काल प्रभाव इसे स्वीकार लिए। तीनों मंत्री संगठन में काम करने की मंशा के साथ अपने इस्तीफे पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दिए थे। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जादू कायम रहेगा या फिर सचिन पायलट का जलवा बरकार रहेगा, आज कैबिनेट गठन से साफ हो जाएगा। बता दें कि राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के सभी मंत्रियों ने अपने इस्तीफे शनिवार शाम को पार्टी आलाकमान को सौंप दिए।
राजस्थान में चुनाव भले ही 2023 में होने हैं, मगर वहां गहलोत और पायलट गुट के बीच चल रही खींचतान जिस मुकाम तक आ पहुंची है, उसे देखते हुए गांधी परिवार ओवर एक्टिव मोड में आ गया है, क्योंकि कांग्रेस न तो पंजाब वाले हालात दोहराना चाहती है और न ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदल लेने से मध्य प्रदेश की तरह ही अपनी सत्ता खोना चाहती है। यही वजह है कि पार्टी के प्रभारी महासचिव अजय माकन ने शुक्रवार को ही जयपुर में अपना डेरा डाल लिया। उन्होंने दोनों गुटों के मंत्रियों-विधायकों से अलग-अलग मिलकर उनका जो फीडबैक लिया। उसकी पूरी जानकारी वे यूपी के दौरे पर गईं प्रियंका गांधी को देते रहे।