उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार अपने कामकाज में जुट चुकी है तो दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) अंदरुनी कलह से जूझ रही है। अखिलेश यादव के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) प्रमुख के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलों के बीच मुलायम सिंह यादव के कुनबे में दरार आ गई है। वैसे तो दोनों ही ओर से चुप्पी साध ली गई है, लेकिन खामाशी भी काफी कुछ बयां कर रही है। इस बीच भाजपा शिवपाल यादव के आने से अखिलेश यादव के बड़े नुकसान की उम्मीद लगा रही है।
2022 विधानसभा चुनाव में साइकिल निशान पर जीतकर विधानसभा पहुंचे शिवपाल यादव कभी सपा में दूसरे सबसे बड़े नेता थे। मुलायम सिंह यादव के बाद किसी ने सबसे अधिक मेहनत की थी तो वह शिवपाल ही थे। लेकिन अब हासिए पर जा चुके शिवपाल अब भगवा कैंप में जा सकते हैं। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, इसमें कुछ समय जरूर लग रहा है, लेकिन देर-सवेर ऐसा होना तय है। पार्टी नेताओं का कहना है कि शिवपाल यादव ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से दूरी बनाने का पक्का फैसला कर लिया है। शिवपाल यादव अब अपनी नई राजनीतिक पारी शुरू करके यादव बेल्ट में अखिलेश यादव के लिए संकट खड़ा करेंगे। ठीक उसी तरफ से जैसे मुलायम सिंह यादव ने चौधरी चरण सिंह से नाता तोड़ने के बाद अजित सिंह के सामने राजनीतिक संकट खड़ा करते हुए अपनी पहचान बनाई थी। भाजपा को उम्मीद है कि उसी तरह शिवपाल यादव भी सपा के वोटबैंक को अपने साथ जोड़ने में जुटेंगे।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि शिवपाल यादव ने करीब 5 साल में अपनी नई पार्टी को अपेक्षित मजबूती नहीं दे सके, इसको देखते हुए बीजेपी को बहुत फायदे की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उनका कहना है कि अखिलेश यादव मुलायम सिंह यादव की विरासत पर अपनी पकड़ मजबूत कर चुके हैं। हालांकि, कुछ अन्य जानकार कहते हैं कि भाजपा के पास एक मजबूत संगठन है और ऐसे में यदि शिवपाल जैसा जमीनी नेता का साथ भगवा पार्टी को मिलता है तो यादव बेल्ट में भी उन जगहों पर कमल खिल सकता है, जिन सीटों पर लड़ाई काफी करीबी रही है।
शिवपाल सिंह ने पिछले दिनों ट्विटर पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को फॉलो करना शुरू कर एक नया संदेश दिया है। यह भाजपा के प्रति उनकी बढ़ती नजदीकियों के स्पष्ट करता है। फिलहाल यह चर्चा शुरू होने लग गई है कि छह बार के विधायक शिवपाल यादव को भाजपा विधानसभा उपाध्यक्ष बना सकती है। जिस तरह सपा खेमे में सेंध लगाते हुए विधायक नितिन अग्रवाल को उपाध्यक्ष बनाया था, उसी तरह से सपा विधायक शिवपाल को भी विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाकर अखिलेश यादव को झटका दिया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो शिवपाल की कुर्सी नेता विरोधी दल अखिलेश के बगल में होगी। फिलहाल शिवपाल सिंह यादव इसके लिए तैयार होंगे या नहीं यह जल्दी ही स्पष्ट हो जाएगा, परन्तु अब यह तय हो गया है कि शिवपाल सिंह यादव अब सपा के वोटबैंक में सेंध लगाने की अपनी मुहिम के जरिए अखिलेश यादव को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं।