पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का खाता भी नहीं खुला. मनसे प्रमुख राज ठाकरे के पुत्र अमित ठाकरे मुंबई में माहिम सीट से हार गए. उसके पहले 2024 के लोकसभा चुनावों में राज ठाकरे ने बीजेपी का समर्थन किया था लेकिन विधानसभा चुनाव हारने के बाद उसके खिलाफ बोलने लगे. ठाकरे ने पिछले माह सत्तारूढ़ भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा था कि बीजेपी ने एक बार कहा था कि करोड़ों रुपये के घोटाले में संलिप्त नेताओं को सलाखों के पीछे डाला जाएगा लेकिन उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया है. उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों पर भी सवाल उठाए थे. भाजपा ने भी पलटवार करते हुए कहा था कि ठाकरे पर पार्टी के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया और दावा किया कि उसने कभी भी समझौते की और सुविधा की राजनीति नहीं की है.
इन आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को मनसे प्रमुख राज ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात की. फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई. भाजपा विधान परिषद के सदस्य प्रसाद लाड ने बताया कि मनसे प्रमुख ठाकरे ने फडणवीस को मुंबई के दादर इलाके में शिवाजी पार्क के पास स्थित अपने आवास पर आमंत्रित किया था लेकिन उन्होंने इस मुलाकात के संबंध में और कोई जानकारी नहीं दी. लेकिन कहा जा रहा है कि अगले कुछ महीने के भीतर महाराष्ट्र में निकाय चुनाव होने वाले हैं. सीएम फडणवीस की नजर अब मुंबई नगर निगम BMC चुनावों पर हैं. इसके लिए उन्होंने बाकायदा तैयारी भी शुरू कर दी है. इस मुलाकात को उससे जोड़कर देखा जा रहा है. वैसे भी फडणवीस पहले से ही राज ठाकरे के साथ गठबंधन करने के पक्ष में रहे हैं.
कुछ समय पहले देवेंद्र फडणवीस ने इस बारे में संकेत देते हुए कहा था कि राज ठाकरे के उम्मीदवारों को विधानसभा चुनाव में भले जीत न मिली हो, लेकिन उन्हें अच्छे वोट मिले. हमारे और उनके विचार मेल खाते हैं. तब से ही बीजेपी और मनसे के गठबंधन के कयास लगाए जाते रहे हैं लेकिन बीच में अचानक राज ठाकरे के तेवर बदलने और बीजेपी की आलोचना से ये लगने लगा था कि शायद ये गठबंधन नहीं होगा. लेकिन अब फडणवीस और राज ठाकरे की मुलाकात के बाद निगम चुनावों को देखते हुए गठबंधन की चर्चाएं फिर से तेज होंगी.
विश्लेषकों का मानना है कि मनसे और बीजेपी के संभावित गठबंधन से बीएमसी चुनावों में बड़ा प्रभाव पड़ सकता है. बीएमसी पर अभी भी उद्धव ठाकरे की मजबूत पकड़ है, लेकिन अगर बीजेपी-मनसे एक साथ आते हैं तो यह समीकरण को बदल सकता है. लोकसभा चुनावों में मनसे के बिना शर्त समर्थन से बीजेपी को बड़ा फायदा हुआ था और अब यह समीकरण नगर निगम चुनाव में दोहराए जाने की संभावना है.
बीजेपी-मनसे के गठबंधन की संभावना तो है लेकिन विधानसभा में चुनावी हार के बाद महाराष्ट्र के सियासी गलियारे में पुरानी शिवसेना को मजबूत करने के इरादे से दोनों चचेरे भाइयों उद्धव और राज ठाकरे के फिर से एक साथ आने की मांग भी उठ रही है. दिसंबर में पारिवारिक शादियों में उद्धव और राज ठाकरे की एक साथ मौजूदगी के बाद इस तरह की चर्चाएं उठी हैं. 2006 में शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की स्थापना की थी. इसके बाद दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक मतभेद बढ़ते गए और उन्होंने एक-दूसरे पर कई बार तीखे हमले भी किए. लेकिन पारिवारिक आयोजनों में उनकी मुलाकात होती रही हैं.
दरअसल शिवसेना के पुराने कार्यकर्ताओं में ये भावना है कि यदि ये दोनों चचेरे भाई एक साथ आ जाएं तो बाला साहेब ठाकरे के जमाने की शिवसेना को फिर से खड़ा किया जा सकता है और एकनाथ शिंदे को भी चुनौती दी जा सकती है. एक दूसरी वजह ये भी है कि दोनों पार्टियां एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंध लगाती रही हैं, जिससे दोनों को नुकसान हुआ है. इसलिए मराठी अस्मिता की रहनुमाई करने वाले लोग उद्धव और राज के एक साथ आने की वकालत करते रहते हैं. इसलिए कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले राज ठाकरे को सभी पक्षों को ध्यान में रखना होगा. कहने का आशय ये है कि राज ठाकरे को ये देखना होगा कि बीजेपी के साथ जाने की स्थिति में उनको कितना नफा होगा और कितना नुकसान.