एकनाथ शिंदे के अलावा शंभूराज देसाई भी दे रहे उद्धव ठाकरे को गहरा दर्द, बगावत में है बड़ा रोल; जानें कितने अहम

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महाराष्ट्र की सियासत में बीते कई दिनों से एकनाथ शिंदे का नाम गूंज रहा है। पुराने शिवसैनिक एकनाथ शिंदे फिलहाल 34 शिवसेना विधायकों समेत 42 नेताओं के साथ गुवाहाटी में जमे हैं। इसके चलते उद्धव ठाकरे बैकफुट पर हैं, लेकिन इसमें अकेले एकनाथ शिंदे का ही रोल नहीं है। इस पूरी बगावत के पीछे दो चेहरे और हैं, जिनके नाम महेश शिंदे और शंभूराज देसाई हैं। खासतौर पर शंभूराज देसाई का बड़ा कद है, जो उद्धव ठाकरे की सरकार में गृह राज्य मंत्री हैं। ऐसे में उनकी बगावत ने भी कुछ विधायकों को उद्धव ठाकरे से दूर करने का काम किया है। दोनों ही नेता सतारा से आते हैं। महेश शिंदे कोरेगांव सीट से विधायक हैं, जबकि शंभूराज देसाई भी सतारा जिले के ही पाटन से विधायक हैं। 

शंभूराज देसाई वर्तमान में सतारा से गृह राज्य मंत्री हैं। विद्रोह में एकनाथ शिंदे के साथ शंभूराज देसाई भी काफी सक्रिय हैं। इसी का नतीजा है कि महाविकास अघाड़ी सरकार के गिरने के बाद बनने वाली सरकार में अब शंभूराज देसाई को कैबिनेट मंत्री का पद मिलने की चर्चा है। बागी विधायकों में से एक का कहना है कि सब कुछ एकनाथ शिंदे के निर्णय के अनुसार हो रहा है। एकनाथ शिंदे की बगावत ने शिवसेना को कितना बड़ा झटका दिया है, इसका अंदाजा उद्धव ठाकरे की बॉडी लैंग्वेज से ही लगाया जा सकता है। बुधवार शाम को मीडिया से बात करते हुए उद्धव ठाकरे ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए कहा था कि यदि कोई शिवसैनिक मुझे सीएम नहीं देखना चाहता तो पद छोड़ने के लिए तैयार हूं। 

क्यों इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं उद्धव ठाकरे

यही नहीं वह बुधवार की रात को ही सीएम आवास को खाली कर पैतृक बंगले मातोश्री में शिफ्ट हो गए। एक तरफ उद्धव ठाकरे इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं तो वहीं बागियों की निष्ठा पर भी पार्टी सवाल उठा रही है। संजय राउत ने कहा कि जो ईडी के दबाव में पार्टी छोड़ता है, वह सच्चा शिवसैनिक नहीं हो सकती है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘ईडी के डर से पार्टी छोड़ने वाले कुछ लोग शिवसेना नहीं हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने किसी विधायक से रुकने की अपील नहीं की है। लेकिन मैं बस इतना कह सकता हूं कि इन विधायकों में हिम्मत है तो फिर से चुनाव में उतरकर दिखाएं।’

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