महाराष्ट्र की नई बनी एकनाथ शिंदे सरकार में फिलहाल दो ही लोगों ने शपथ ली है। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए हैं और देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम के तौर पर काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक कैबिनेट विस्तार का इंतजार है। 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला होना है। माना जा रहा है कि फ्लोर टेस्ट में बहुमत हासिल करने के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से एकनाथ शिंदे सरकार को संभवत: कोई झटका नहीं लगेगा। ऐसे में अब भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों के बीच मंत्रालयों के बंटवारे पर चर्चा होने लगी है।
सीएम पद के त्याग की पूरी कीमत वसूलेगी भाजपा
भाजपा के सूत्रों के मुताबिक भले ही पार्टी ने एकनाथ शिंदे को सीएम बनाकर ‘त्याग’ दिखाने का प्रयास किया है, लेकिन विभागों के बंटवारे में वह अपरहैंड चाहेगी। चर्चा है कि भाजपा के खाते में वित्त, राजस्व और गृह मंत्रालय रहेंगे। इसके अलावा शहरी विकास मंत्रालय और सड़क मंत्रालय एकनाथ शिंदे गुट के खाते में जा सकते हैं। एकनाथ शिंदे खुद उद्धव ठाकरे सरकार में शहरी विकास मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे थे। हालांकि, एकनाथ शिंदे इस बात से खफा थे कि पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और आदित्य ठाकरे दोनों विभागों के मामलों में दखल दे रहे थे। ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी के साथ सरकार चलाते हुए भी इन दोनों विभागों पर एकनाथ शिंदे का पूरा नियंत्रण होगा या नहीं।
सीएम बनने पर एकनाथ शिंदे खेमे में कम हो सकते हैं मंत्री पद
एकनाथ शिंदे के समर्थन में कुल 39 विधायक शिवसेना को छोड़कर उनके साथ आए हैं और सरकार को समर्थन दिया है। इन विधायकों में से 8 लोग मंत्री थे। ऐसे में इस बात पर नजर रहेगी कि शिंदे समर्थक कितने विधायकों को मंत्री परिषद में जगह मिलती है। सरकार गठन से पहले चर्चा थी कि यदि भाजपा के पास सीएम पद जाता है तो फिर 13 मंत्री पद एकनाथ शिंदे के खाते में जा सकते हैं। इनमें से 8 लोगों को कैबिनेट मंत्री बनाने और 5 लोगों को राज्यमंत्री का पद देने की बात कही जा रही थी। लेकिन अब एकनाथ शिंदे सीएम बन गए हैं तो उनके कोटे के मंत्री पदों में कुछ कमी आ सकती है।