महाराष्ट्र की राजनीति में बीते दिनों बड़ा सियासी बवंडर देखने को मिला। शिवसेना के बागी विधायकों के तेवर ने उद्धव ठाकरे से मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली। आरोप लगाए गए कि साथ-साथ सरकार चलाने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने भगवा खेमे को खत्म करने की साजिश रची थी। अब यह कहा जा रहा है कि अगर रामदास कदम और दिवाकर राव कैबिनेट में होते तो अजित पवार को खुला मैदान नहीं मिलता। कोरोना के कारण उद्धव ठाकरे 2 साल से घर में थे। इस दौरान अजीत पवार ने प्रशासन पर अच्छी पकड़ बना ली। उन्होंने अपनी पार्टी एनसीपी को बढ़ाने की कोशिश की।
रामदास कदम ने ‘माजा कट्टा’ पर बोलते हुए कहा कि बालासाहेब के विचारों को किसने धोखा दिया? आदित्य ठाकरे को यह आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। आपकी उम्र क्या है? आपने अपने विधानसभा क्षेत्र में क्या किया? दीपक केसरकर ने कहा कि हमारा कोई भी विधायक मातोश्री, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे के खिलाफ बात नहीं करेगा। हर कोई बोल सकता है लेकिन हम नहीं बोलेंगे। शिंदे गुट के विधायक यह बात समझते हैं।
रामदास कदम ने आगे कहा, सभी विधायकों का स्टैंड तया था कि आप एनसीपी का साथ छोड़ दीजिए, हम फिर आएंगे। हालांकि कई विधायक संजय राउत की भाषा से नाराज हो गए। उन्होंने कहा, ”हमने शिवसेना के लिए खड़े होकर दूसरों की आंखों में आंसू ला दिए। 52 साल बाद अब उन्हें शिवसेना से निकाला जा सकता है। आप कितने लोगों को निर्वासित करने जा रहे हैं? आदित्य के साथ जो भीड़ दिखती है, कल हम भी चलेंगे तो वहां भी भीड़ होगी। क्या हमने इतने साल पार्टी में बर्बाद किए?
मुंबई में मराठी प्रतिशत में कमी क्यों आई?
शिवसेना 25 साल से मुंबई नगर निगम पर शासन कर रही है। 25 साल पहले कितने मराठी लोग बचे थे और अब कितने हैं? मराठी प्रतिशत घटा हमने मराठी लोगों के लिए क्या किया है? इसका उत्तर हमारे साथ देना चाहिए। शिवसेना मराठी लोगों के अधिकारों के लिए लड़ रही थी। रामदास कदम ने परोक्ष रूप से ठाकरे परिवार पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि हमने नगर निगम के काम में कभी हस्तक्षेप नहीं किया।