एकनाथ शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने आज दिल्ली पहुंचकर शरद पवार पर आरोप लगाया था कि उन्होंने दो बार शिवसेना को तोड़ने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था कि पवार ने बालासाहेब ठाकरे के जीते जी उनका अपमान किया था और अब उनके सम्मान की बातें कर रहे हैं। इस पर पलटवार करते हुए एनसीपी ने कहा कि केसरकर को शायद शिवसेना का इतिहास ही पता नहीं है। एनसीपी के लीडर महेश तापसे ने जवाब देते हुए एकनाथ शिंदे की सरकार को अवैध करार दिया। उन्होंने कहा कि वह तो शरद पवार ही थे, जो कांग्रेस को भी साथ लाए और गठबंधन की सरकार बनाते हुए शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद दिया।
महेश तापसे ने कहा, ‘अवैध शिंदे सरकार के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने दिल्ली जाकर नए आरोप लगाए हैं कि जब भी शिवसेना का विभाजन हुआ तो शरद पवार का ही हाथ था। दीपक केसरकर का बयान बेहद गैर जिम्मेदाराना है। दीपक केसरकर को शिवसेना का इतिहास जानना चाहिए। केसरकर को उस समय शिवसेना छोड़ने वाले लोगों के पीछे के कारणों का पता नहीं होगा।’ एनसीपी के लीडर ने कहा कि केसरकर नहीं जानते कि शरद पवार और बालासाहेब ठाकरे के बीच कितने मधुर संबंध थे। दरअसल दीपक केसरकर ने नारायण राणे और राज ठाकरे के शिवसेना से अलग होने का जिक्र करते हुए कहा था कि इन दोनों के ही पीछे शरद पवार का हाथ था।
भाजपा ने तो शपथ ग्रहण तक में नहीं बुलाया था, पवार ने दिलाया सम्मान
केसरकर ने कहा था कि आज एकनाथ शिंदे की बगावत पर शरद पवार बालासाहेब ठाकरे के सम्मान की बात कर रहे हैं, लेकिन जब वह जीवित थे, तब उन्हें परेशानकिया था। इस पर जवाब देते हुए महेश तापसे ने कहा कि 2014 में महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनी थी। देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने थे और तब शिवसेना को एक साधारण शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं बुलाया गया था। बहरहाल, उसी शिवसेना से बगावत करने वाले विधायक, मुख्यमंत्री और प्रवक्ता आज भाजपा के सामने घुटने टेक रहे हैं। एकनाथ शिंदे गुट ने ऐसा किया है कि बालासाहेब ठाकरे की आत्मा को दुख पहुंचा होगा।