शिवसेना के राज्यसभा सांसद अपने दिलचस्प बयानों के लिए चर्चित रहे हैं। अब उन्होंने एक नया ट्वीट किया है, जिसे लेकर महाराष्ट्र की सियासत में चर्चा छिड़ गई है। मंगलवार को सुबह ही संजय राउत ने शायर जौन एलिया का एक शेर ट्वीट करते हुए लिखा, ‘अब नही कोई बात खतरे की, अब सभी को सभी से खतरा है।’ इस ट्वीट में संजय राउत ने देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र सीएमओ, एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे और प्रियंका गांधी को टैग किया है। उनके इस ट्वीट के सही अर्थ को लेकर चर्चा हैं। कहा जा रहा है कि संजय राउत ने अपने ट्ववीट से संकेत दिया है कि शिवसेना आने वाले समय में कोई बड़ा फैसला ले सकती है। इसके अलावा महा विकास अघाड़ी के भविष्य को लेकर भी इस ट्वीट से कयास लगने लगे हैं।
इससे पहले 2019 में महाविकास अघाड़ी के गठन से पहले भी संजय राउत हर दिन रोचक ट्वीट करते देखे गए थे। इस बार एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बीच भी संजय राउत काफी चर्चा में रहे हैं। उद्धव ठाकरे का बचाव हो या फिर एकनाथ शिंदे गुट पर तीखे हमले, उन्होंने आगे बढ़कर आक्रामक बयानों से काफी चर्चा बटोरी। यही नहीं बीते दिनों उनके एक और ट्वीट की चर्चा हुई थी, जिसमें उन्होंने लिखा था, ‘जब खोने के लिए कुछ भी ना बचा हो तो पाने के लिए बहुत कुछ होता हैं! जय महाराष्ट्र।’ उनके इस ट्वीट से यही अनुमान लगाया जा रहा था कि संभवत: वह शिवसेना के नए सिरे से गठन की बात कर रहे हैं।
बता दें कि बगावत के बीच संजय राउत पर लगातार एकनाथ शिंदे गुट के विधायक हमला बोलते रहे हैं। पिछले दिनों ही शिंदे गुट के नेता गुलाब राव पाटिल ने कहा था कि हम सभी लोग आज भी शिवसेना के हैं और मातोश्री जाने के लिए तैयार हैं। लेकिन उद्धव ठाकरे को कुछ लोगों ने घेर रखा है और उन्हें धृतराष्ट्र बना दिया है। यदि ऐसे लोगों को हटाकर बात करें तो हम आ सकते हैं। उनकी इस टिप्पणी को संजय राउत से ही जोड़कर देखा गया था। इसके अलावा बागी विधायक संजय राउत के मास लीडर न होने पर भी सवाल खड़े करते रहे हैं।
सुनवाई में कितना समय लगेगा, SC में देरी पर बोली शिवसेना
इस बीच मुखपत्र सामना में भी शिवसेना ने नई सरकार पर सवाल उठाते हुए चुनाव कराने की मांग की है। सामना में लिखा गया, ‘यह सरकार अवैध है। इसलिए मध्यावधि चुनाव की तैयारी की जाए। कोर्ट ने कहा कि सुनवाई में समय लगेगा, लेकिन इसमें कितना समय लगेगा? तब तक क्या महाराष्ट्र पर शिंदे-फडणवीस की अवैध सरकार थोपी जाएगी? यह सरकार अवैध है।’ इसलिए इस सरकार को कोई नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं होना चाहिए। जब तक पीठ सुनवाई कर रही है, इस सरकार को या तो ‘कार्यवाहक’ के रूप में कार्य करना चाहिए या मध्यावधि चुनाव की तैयारी शुरू करनी चाहिए।