महाराष्ट्र में सत्ता जाने के बाद महाविकास अघाड़ी गठबंधन के सहयोगी दलों का साथ बना हुआ था। लेकिन लगता है राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन के सवाल पर इस गठबंधन में फूट पड़ने का रास्ता तैयार हो गया है। एक तरफ शिवसेना ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान कर दिया है तो वहीं एनसीपी नेता छगन भुजबल ने कहा कि शिवसेना की तरफ से समर्थन के संबंध में अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। माना जा रहा है कि इस तरह का बयान देकर एनसीपी उद्धव ठाकरे को दबाव में लेने की कोशिश में है। उसकी कोशिश है कि शिवसेना एमवीए में बनी रहे और उद्धव कोई अलग रास्ता न अख्तियार करें। वहीं शिवसेना के सांसदों के दबाव में ही उद्धव ठाकरे ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का फैसला लिया है, जिसकी जानकारी खुद संजय राउत ने मंगलवार सुबह दी थी
छगन भुजबल ने यह कहा
मंगलवार को एनसीपी के नेता छगन भुजबल ने कहा कि शिवसेना ने अभी इस बारे में फैसला नहीं लिया है कि राष्ट्रपति चुनाव में किसे समर्थन देना है। भुजबल ने कहा कि यह स्पष्ट है कि शिवसेना अपनी पार्टी को मजबूत करने पर काम कर रही है। जब इतनी बड़ी संख्या में सदस्य पार्टी छोड़कर चले जाते हैं तो जमीनी स्तर पर काफी प्रयास करने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ऐसा ही कुछ कर रहे हैं। एक तरफ तो छगन भुजबल इस तरह का बयान दे रहे हैं जबकि संजय राउत यह स्पष्ट कर चुके हैं कि शिवसेना द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने जा रही है। इसको लेकर बाकायदा ऐलान भी हो चुका है।
उद्धव के सामने पार्टी और साख बचाने का सवाल
असल में उद्धव ठाकरे के सामने इस समय सबसे बड़ी चिंता पार्टी और अपनी साख बचाने की है। पहले ही बड़ी तादाद में सदस्यों से हाथ धो चुके ठाकरे अब और खतरा उठाने की हालत में नहीं हैं। शिवसेना से कई विधायकों के चले जाने के बाद सांसदों के भी पाला बदलने की आशंकाएं लगातार जताई जा रही हैं। वहीं कल हुई पार्टी की बैठक में भी कई सांसद नहीं पहुंचे थे। दूसरी तरफ खुद शिवसेना सांसद इस बात का दबाव बना रहे हैं कि पार्टी राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मूर्मू को समर्थन दे। ऐसे में उद्धव ठाकरे के लिए पार्टी और गठबंधन का बैलेंस बनाए रखने की बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। अगर वह सांसदों की बात नहीं मानते हैं तो उन्हें और ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा, जो वह कतई नहीं चाहेंगे।