रामदास कदम का आदित्य ठाकरे पर इमोशनल अटैक, अंकल बोलते थे और मिनिस्ट्री ले ली

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उद्धव ठाकरे गुट द्वारा निकाले जाने के बाद शिंदे कैंप में पहुंचे शिवसेना नेता रामदास कदम ने अब इमोशनल हमला बोला है। उन्होंने शिवसेना नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी से निकालने से पहले मातोश्री से किसी ने एक बार भी उन्हें कॉल करने की जहमत तक नहीं उठाई। इतना ही नहीं कदम ने पार्टी मुखिया उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को भी निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि विधायकों के बारे में कुछ भी बोलने से पहले आदित्य को अपनी उम्र का ख्याल करना चाहिए। 

डेढ़ साल तक मेरे केबिन में बैठते रहे

रामदास कदम 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के एनवायर्नमेंट मिनिस्टर थे। कदम ने दावा किया कि साल 2018 में उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाया था। लेकिन इसका क्रेडिट आदित्य ठाकरे को दिया गया। उन्होंने कहा कि जब मैं मंत्री था आदित्य ठाकरे करीब डेढ़ साल तक मेरे केबिन में बैठते थे। तब मैंने सोचा भी नहीं था कि जो आदित्य मुझे अंकल कहते हैं, वह एक दिन मुझसे मेरा मंत्रालय छीन लेंगे। कदम ने कहा कि मैंने अपने पूरे जीवन में इस तरह की राजनीति नहीं की।

कितने लोगों को शिवसेना से निकालेंगे

कदम ने कहा कि किसी भी बाहरी आदमी को इजाजत नहीं है कि वह मंत्री के केबिन में बैठे और मीटिंग्स में हिस्सा ले। लेकिन चूंकि आदित्य उद्धव ठाकरे के बेटे हैं तो मैंने कभी कुछ कहा नहीं। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक बैन का केडिट आदित्य को दिए जाने पर भी उन्होंने कोई ऐतराज नहीं जताया। कदम टीवी इंटरव्यूज पर रोते हुए भी नजर आए थे। इस दौरान वह उद्धव ठाकरे से पूछते नजर आ रहे हैं कि आखिर कितने लोगों को वह शिवसेना से निकालेंगे? 

उद्धव ठाकरे को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए

रामदास कदम ने कहा कि उद्धव ठाकरे इस बारे में आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि आखिर 50 से अधिक विधायक और 12 सांसदों ने क्यों एकनाथ शिंदे का समर्थन करने का फैसला लिया है। कदम ने यह भी दावा किया कि जब शिंदे गुवाहाटी में थे तो उनकी शिंदे से बात हुई थी। इसके बाद शिंदे पार्टी में वापस आने के लिए भी तैयार हो गए थे। लेकिन उनकी यह कोशिश इसलिए नाकाम हो गई, क्योंकि ठाकरे के आसपास मौजूद लोगों ने विधायकों को अपशब्द कहने शुरू कर दिए थे। कदम ने एनसीपी चीफ शरद पवा पर भी आरोप लगाए और कहा कि आखिर वह शिवसेना को तोड़ने में कामयाब रहे। बालासाहेब के जिंदा रहते वह ऐसा नहीं कर पाए थे और अब वह ऐसा कर पाने में सफल रहे।

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