शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को उन राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए पेंशन योजना को बहाल कर दिया, जो 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान जेल में बंद थे। इस इमरजेंसी पेंशन स्कीम की शुरुआत 2018 में देवेँद्र फडणवीस सरकार की ओर से हुई थी। जैसे ही साल 2020 में कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना गठबंधन की सरकार बनी और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने, उन्होंने योजन का बंद कर दिया।
साल 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से लगाए गए आपातकाल का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं को पेंशन देने का फैसला लिया था। 1975 और 1977 के बीच जेल की अवधि के आधार पर पेंशन की राशि 5000 रुपए से 10000 रुपए तक थी।
तीन महीने जेल में रहने वाले को मिलेगा 10 हजार
योजना के अनुसार एक महीने से कम या फिर एक महीने तक की कैद की सजा पाने वाले को 5000 रुपए और तीन महीने तक तक और उससे ऊपर के लोगों के लिए 10 हजार रुपए निर्धारित किए गए थे। शिंदे के नेतृत्व में बनी सरकार में डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि आपतकाल का विरोध करने वालों में आरएसएस कार्यकर्ता, जनसंघ और कुछ राजनीतिक दलों के थे।