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शिवसेना के पास अब नेता विपक्ष का भी पद नहीं रहा, NCP के अजीत पवार को मिली कमान

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हाल ही में मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने वाली शिवसेना के पास अब नेता विपक्ष का भी पद नहीं रहा। महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजीत पवार को सोमवार को विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) के रूप में चुना गया। इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के अंतिम दिन सोमवार को सदन में महत्वपूर्ण शक्ति परीक्षण में जीत हासिल कर ली।एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने 164-99 के अंतर से फ्लोर टेस्ट जीता। 

इसी समय राकांपा विधायक दल के नेता जयंत पाटिल ने प्रस्ताव रखा कि अजित पवार महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता होंगे। बाद में इसे विधानसभा ने मंजूरी दे दी। शरद पवार ने कल जयंत पाटिल, अजीत पवार के साथ राकांपा नेताओं की बैठक की थी। विपक्ष चाहता था कि पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता विपक्ष का चेहरा बने।

शक्ति परीक्षण के दौरान 288 सदस्यीय सदन में 164 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि 99 विधायकों ने इसके खिलाफ मतदान किया। तीन विधायक मतदान से दूर रहे, जबकि कांग्रेस के अशोक चव्हाण और विजय वडेट्टीवार समेत 21 विधायक विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रहे। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विश्वास मत को बहुमत मिलने की घोषणा की।

हाल में शिवसेना के एक विधायक के निधन के बाद विधानसभा में विधायकों की मौजूदा संख्या घटकर 287 हो गई है, इसलिए बहुमत के लिए 144 मतों की आवश्यकता थी। एकनाथ शिंदे पिछले महीने शिवसेना के खिलाफ बागी हो गए थे। अधिकतर विधायकों ने उनका समर्थन किया, जिसके कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई।

ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान विधायक अबू आजमी और रईस शेख (दोनों समाजवादी पार्टी के नेता हैं) और शाह फारुख अनवर (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन) ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

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