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मंदिरों के कपाट खोलने के लिए भाजपा ने किया शंखनाद आंदोलन, राज्य सरकार जोखिम मोल लेने के लिए तैयार नहीं

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कोरोना महामारी के कारण एक साल से ज्यादा समय से बंद पड़े मंदिरों को खोलने के लिए भाजपा ने एक बार फिर आंदोलन शुरू कर दिया है। सोमवार को प्रदेश भाजपा आध्यात्मिक प्रकोष्ठ की ओर से राज्यभर के प्रमुख मंदिरों में घंटानाद और शंखनाद आंदोलन कर मंदिरों के कपाट खोलने की मांग की गई।

लेकिन, राज्य सरकार जोखिम मोल लेने के लिए तैयार नहीं

राज्य में मंदिर खोलने के लिए मुंबई, ठाणे, पुणे, नासिक, नागपुर, पंढरपुर, औरंगाबाद और अन्य स्थानों पर सोमवार को पूरे दिन भाजपा के आध्यात्मिक प्रकोष्ठ की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया, जहां आंदोलनकारियों ने सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए घंटे बजाए और शंखनाद किया। इस दौरान भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में भी लिया गया। हालांकि इस विरोध प्रदर्शन के बावजूद अक्तूबर-नवंबर में संभावित कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए राज्य सरकार जोखिम उठाने को तैयार नहीं है।

एक साल से ज्यादा समय से बंद पड़े हैं मंदिर

इससे पहले कोरोना की पहली लहर खत्म होने के बाद मंदिरों को खोलने के लिए राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी की चिट्ठी से खासा विवाद हुआ था जिसको लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल पर पलटवार किया था। पहली लहर के बाद कुछ दिनों के लिए मंदिर खोले गए थे लेकिन दूसरी लहर आने पर फिर मंदिर अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इससे अब एक बार मंदिर खोलने का मुद्दा गूंजा है। वहीं, राज ठाकरे की पार्टी मनसे के कार्यकर्ताओं ने भी मंगलवार को दही हांडी समारोह की अनुमति नहीं देने के फैसले के विरोध में ठाणे में विरोध प्रदर्शन किया।

पाटिल ने मंदिरों को बंद रखने के सरकार के तर्क पर सवाल उठाया

पुणे में शंखनाद आंदोलन के नेतृत्व करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मंदिरों को बंद रखने के सरकार के तर्क पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि मंदिरों को बंद रखने और शराब की दुकानों को खुला रखना कितना तर्कसंगत है। वहीं, मुंबई में बाबुलनाथ मंदिर पर आंदोलन कर रहे पूर्व वित्तमंत्री भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि जिन्होंने टीके की दोनो खुराक ली है, उन्हें मंदिर में पूजा-अर्चना की अनुमति दी जाए। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि हमें केरल से सीख लेने की जरूरत है। जहां ओणम के बाद तेजी से कोरोना संक्त्रस्मण फैला है। केंद्र सरकार ने भी त्योंहारों पर सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में हमें सावधानी बरतनी होगी।

अन्ना हजारे ने भी किया है मंदिर खोलने का समर्थन

प्रसिद्ध समाजसेवी और गांधीवादी नेता अन्ना हजारे ने भी कुछ दिन पहले मंदिर नहीं खोलने के लिए राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार के रूख पर सवाल उठाया था। उन्होंने जानना चाहा था कि राज्य सरकार मंदिर क्यों नहीं खोल रही है? इससे राज्य सरकार को क्या खतरा है? अगर कोविड-19 की वजह है तो शराब की दुकानों के बाहर लंबी कतारें हैं। अन्ना ने मंदिरों पर से प्रतिबंध हटाने के लिए आंदोलन के लिए अपना समर्थन दिया था।

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