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उद्धव ठाकरे की विडंबना: द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में शिवसेना सांसद, शरद पवार कर रहे विपक्ष का प्रचार

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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। एक तरफ महा विकास अघाड़ी का सबसे बड़ा चेहरा शरद पवार राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार का प्रचार कर रहे हैं, वहीं शिवसेना के अपने ही सांसद द्रौपदी मुर्मू को अपना मत देना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने उद्धव को एक चिट्ठी भी लिखी है।

शिवसेना के लोकसभा सांसद राहुल शेवाले ने मंगलवार को पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे से आग्रह किया कि वे अपने सांसदों को राष्ट्रपति चुनाव के लिए सत्तारूढ़ राजग की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को उनकी आदिवासी जड़ों और सामाजिक क्षेत्र में योगदान को देखते हुए समर्थन देने का निर्देश दें। ठाकरे को लिखे पत्र में मुंबई दक्षिण मध्य निर्वाचन क्षेत्र के लोकसभा सांसद ने कहा कि राजनीति में प्रवेश करने से पहले, मुर्मू एक शिक्षक थीं और बाद में ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं और झारखंड के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया।

शेवाले ने कहा, “उनकी (आदिवासी) पृष्ठभूमि और सामाजिक क्षेत्र में योगदान को देखते हुए मैं आपसे मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा करने और शिवसेना के सभी सांसदों को ऐसा करने का निर्देश देने का आग्रह करता हूं।”

बाल ठाकरे ने 2007 में किया था कांग्रेस कैंडिडेट का समर्थन

शेवाले ने बताया कि शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे ने 2007 के राष्ट्रपति चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया और इसके बजाय शीर्ष संवैधानिक पद के लिए महाराष्ट्र की मूल निवासी और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इसी तरह शिवसेना ने 2012 में यूपीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था। 

उनकी मांग इस बात को ध्यान में रखते हुए महत्व रखती है कि शिवसेना 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए से बाहर चली गई। हाल ही में उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी की सरकार भी सत्ता से बेदखल हो गई।

शिंदे गुट कर रहा मुर्मू का समर्थन

शिवसेना के लोकसभा में 18 और राज्यसभा में तीन सांसद हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने मुर्मू को समर्थन देते हुए कहा कि राज्य के विधायकों और सांसदों को एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए एकजुट होना चाहिए। केसरकर ने कहा कि यह पहली बार है कि एक आदिवासी समुदाय से एक व्यक्ति और वह भी एक महिला को शीर्ष पद के लिए चुना जाना तय है।

ठाकरे के फैसले पर नजरें

भाजपा के साथ तल्ख रिश्तों के बीच उद्धव ठाकरे का द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने की संभावना कम ही है। ऐसे में शिवसेना के सांसद पार्टी लाइन से अलग हटकर एनडीए कैंडिडेट को वोट कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो सांसदों को भी शिंदे गुट में जाने की संभावना बढ़ जाएगी।

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