महाराष्ट्र विधान परिषद में राज्यपाल कोटे से सदस्यों के मनोनयन में विलंब, शिवसेना बरसी राज्यपाल पर
शिवसेना ने सोमवार को उम्मीद जताई कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राज्यपाल कोटे के तहत विधान परिषद में 12 सदस्यों के मनोनयन में देरी को लेकर बम्बई उच्च न्यायालय की टिप्पणियों पर गंभीरता से संज्ञान लेंगे।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने आश्चर्य जताया कि उस फाइल पर क्या शोध किया जा रहा है जिसे राज्य सरकार ने पिछले साल नवंबर में राज्यपाल को भेजा था जिसमें मनोनयन के लिए 12 नामों की सिफारिश की गई थी।
उन्होंने यहां पत्रकारों से बात करते हुए पूछा, “क्या कोई इस पर पीएचडी कर रहा है?” बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार को यह स्पष्ट करने के लिए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया कि राज्यपाल विधान परिषद में सदस्यों के मनोनयन पर फैसला करने में इतना समय क्यों लगा रहे हैं, जबकि पिछले साल छह नवंबर को ही 12 नामों की सूची भेज दी गई थी।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में सोमवार को एक संपादकीय में कहा गया कि राज्य में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार द्वारा 12 नामों को मंजूरी दिए जाने के छह महीने बीत चुके हैं।
उसमें कहा गया, “बेहतर होगा कि राज्यपाल अदालत की टिप्पणियों को गंभीरता से लें। किसी को भी महाराष्ट्र के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए। राज्य में अपने बड़ों का सम्मान करने की संस्कृति है। यदि आप प्रगतिशील हैं और धैर्य रखते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप कायर हैं।” संपादकीय में कहा गया है कि राज्यपाल को बहुत काम करना है, अगर वह चाहें तो। कोविड-19-रोधी टीकों की कमी है, जिस मामले को वह देख सकते हैं।
मराठी दैनिक अखबार में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चक्रवात ताउते के बाद गुजरात के लिए 1,000 करोड़ रुपये की राहत राशि की घोषणा की है। राज्यपाल इस मामले को लेकर पूछ सकते हैं कि महाराष्ट्र के साथ अन्याय क्यों हुआ।
उसमें कहा गया कि राज्यपाल 1,500 करोड़ रुपये (चक्रवात राहत के रूप में) मांग सकते हैं और मराठी लोगों का दिल जीत सकते हैं।
संपादकीय में आरोप लगाया गया कि विधान परिषद में 12 सदस्यों के मनोनयन में देरी के पीछे ‘राजनीति’ है।
इसमें दावा किया गया है कि “ऊपर से मिले इशारे पर नियुक्तियों में देरी राज्य, विधायिका का अपमान और संविधान का उल्लंघन है।” संपादकीय में कहा गया है कि विपक्ष “झूठे विश्वास” में जी रहा है कि वह राज्य में एमवीए सरकार (शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार) को गिरा सकता है।
उसमें कहा गया, “यह आत्मविश्वास ऑक्सीजन नहीं बल्कि कार्बन डाइऑक्साइड है। इस प्रक्रिया में आपका ही दम घुट जाएगा।”
इस बीच, भाजपा नेता आशीष शेलार की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि राज्यपाल के लिए उच्च सदन के सदस्यों को नामित करने के लिए कोई समय सीमा नहीं होती है, राउत ने कहा, “इसका मतलब यह नहीं है कि आप नियुक्तियों को हमेशा के लिए लंबित रख सकते हैं।” राउत ने कहा, “इस तरह का अवैध आचरण संविधान के खिलाफ है और उच्च पद पर आसीन व्यक्ति को शोभा नहीं देता।”