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शिवसेना को मराठी बाण से घायल कर रही है बीजेपी

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जैसे-जैसे बीएमसी चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे बीजेपी सत्ताधारी शिवसेना पर मराठी मुद्दे को उठा कर जोरदार हमले कर रही है। बीएमसी में सचिव पद पर मराठी को दरकिनार करने, आश्रय योजना से मराठी कॉन्ट्रैक्टर को बाहर करने, घाटकोपर-मानखुर्द लिंक फ्लाइओवर को छत्रपति शिवाजी महाराज नाम देने में देरी करने व अब परियोजना प्रभावितों को घर के बदले पैसे देने की योजना को बीजेपी ने मराठी विरोधी करार दिया है।

हाल में इन मुद्दों पर बीजेपी ने शिवसेना पर तीखा प्रहार किया है। बीजेपी बीएमसी चुनाव से पहले यह साबित करने में लगी है कि शिवसेना, हिंदीभाषी ही नहीं, मराठी विरोधी भी है। बीजेपी प्रवक्ता भालचंद्र शिरसाट ने आरोप लगाया कि शिवसेना की एक भी योजना मराठियों के हित की नहीं है। बीएमसी में सचिव पद पर योग्य मराठी अधिकारी को दरकिनार कर शिवसेना ने दूसरे अधिकारी को बैठा दिया, जबकि नियम के अनुसार मराठी महिला अधिकारी को उस पद पर होना चाहिए था।

इसी तरह, 1 अगस्त 2021 को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घाटकोपर-मानखुर्द लिंक फ्लाइओवर का उद्‌घाटन किया। स्थापत्य समिति ने ब्रिज का नाम छत्रपति शिवाजी महाराज देने का प्रस्ताव भी पास कर दिया। लेकिन, शिवसेना ने लिस्टिंग होने बाद भी प्रस्ताव को आज तक रोक कर रखा है, जबकि आज तक शिवसेना छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर ही राजनीति करती आई है।

परियोजना प्रभावितों के लिए जो प्रस्ताव शिवसेना ने बहुमत के बल पर पास किया है, वह मराठी विरोधी है, क्योंकि झोपड़ों के बदले घर न देने से ज्यादातर मराठी मुंबई से बाहर हो जाएंगे। जो दर तय की गई है, उसमें उस एरिया में कोई दोबारा झोपड़ा नहीं खरीद पाएगा। बीएमसी इस तरह की योजनाओं के जरिए धीरे-धीरे मराठियों को मुंबई से बाहर कर रही है। यह एक सोची-समझी रणनीति के तहत हो रहा है। शिवसेना का मराठी विरोध यहां तक पहुंच गया है कि आश्रय योजना में एक मराठी कॉन्ट्रेक्टर को बाहर करने के लिए दो प्रॉजेक्ट को वापस ले लिया गया है।

बता दें कि बीएमसी ने सफाई कर्मचारियों के लिए 9 स्थानों पर बनी चॉल को आश्रय योजना के तहत विकास करने का निर्णय लिया है। इन प्रॉजेक्ट में से प्रभादेवी और माहिम प्रॉजेक्ट को बीएमसी प्रशासन ने वापस लेने का निर्णय लिया है। इस प्रॉजेक्ट के लिए मराठी बिल्डर ने टेंडर भरा था।

मराठी बिल्डर से छीना काम’

बीजेपी नेता भालचंद्र शिरसाट ने आरोप लगाया कि सफाई कर्मचारियों का घर बनाने के लिए एक मात्र मराठी बिल्डर आगे आया था। शिवसेना ने अपने फायदे के लिए मराठी बिल्डर को काम न मिले, इसके लिए काम रोक दिया। वहीं, हर समय शिवसेना मराठियों के भलाई की बात करती है। शिवसेना के इस निर्णय से सफाई कर्मचारी जो कि माहिम और प्रभादेवी में रह रहे हैं, उन्हें अब बड़े घर के लिए और इंतजार करना पड़ेगा। बीएमसी में बीजेपी गुट नेता प्रभाकर शिंदे ने कहा कि आश्रय योजना के लिए मराठी बिल्डर के प्रस्ताव में कोई खामी न होने के बावजूद शिवसेना ने मनमानी करते हुए उसे प्रशासन के पास वापस भेज दिया, जिससे बीएमसी प्रशासन ने प्रस्ताव को वापस लेने का कदम उठाया है।

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