बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है. याचिका में केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा है कि महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ जांच करने के लिए महाराष्ट्र सरकार दस्तावेज सीबीआई को नहीं सौंप रही है.
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादर की डिविजन बेंच को बताया कि मुंबई पुलिस अफसर दस्तावेज की मांग कर रहे सीबीआई के अधिकारी को धमका रहा है. कोर्ट ने पाया कि वह अधिकारी एसीपी रैंक का है. जस्टिस एसएस शिंदे ने कोर्ट रूम में मौजूद सरकारी वकील अरुणा पाई से कहा कि ‘अफसर को सलाह दें.’ कोर्ट ने आगे कहा, ‘ऐसी अप्रिय स्थिति न पैदा करें कि हमें लोगों को काम पर लगाना पड़े.
हाई कोर्ट के आदेशों को मानना होगा.’
जिन दस्तावेजों की मांग सीबीआई कर रही है, उन्हें आईपीएस अफसर रश्मि शुक्ला ने तैयार किया है, जिन्हें पहले राज्य के खुफिया विभाग के साथ तैनात किया गया था. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि कुछ लोगों के द्वारा पुलिसवालों को मनपसंद जगह पोस्टिंग के लिए घूस ली जा रही थी.
पहले महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट में एक याचिका डाली थी, जिसमें सीबीआई की एफआईआर से दो मुद्दों को हटाने की मांग की गई थी. ये शुक्ला की रिपोर्ट और 17 साल के निलंबन के बाद पुलिस सेवा में सचिन वाजे की बहाली से जुड़े थे. जब याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जब महाराष्ट्र सरकार ने मांग की कि सीबीआई दस्तावेज न मांगे. सीबीआई ने उस लंबित सुनवाई को लेकर बयान दिया. हालांकि हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया और सीबीआई बयान को चालू रखने के लिए मना कर दिया.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कोर्ट में कहा कि दस्तावेज न मांगे जाने वाला बयान सीबीआई ने वापस ले लिया था. जस्टिस शिंदे ने पाया कि महाराष्ट्र सरकार हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई है. हालांकि इस मामले में सीबीआई द्वारा जांच पर कोई रोक नहीं है इसलिए एजेंसी महाराष्ट्र सरकार से संबंधित दस्तावेज मांग रही है. जस्टिस शिंदे ने कहा, ”याचिका के संदर्भ में हमने जो भी निर्देश दिया है, उसकी आपको जांच करनी होगी.” इस मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी.