महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक की 8 संपत्तियों को प्रवर्तन निदेशालय ने जब्त कर लिया है। उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत यह कार्रवाई की गई है। 62 वर्षीय एनसीपी नेता फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें 23 फरवरी को दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल ईडी ने नवाब मलिक और उनके परिवार के लोगों की संपत्ति को प्रोविजनल तौर पर अटैच किया है। इन संपत्तियों में परिवार की ओर से संचालित फर्म सॉलिडस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और मलिक इन्फ्रास्ट्रक्चर भी शामिल हैं।
इसके अलावा जिन संपत्तियों को जब्त किया गया है, उनमें कुर्ला वेस्ट में शामिल में गोवावाला कम्पाउंड शामिल है। इसके अलावा कुर्ला वेस्ट में ही तीन फ्लैट्स और बांद्रा वेस्ट में दो फ्लैट्स को सीज किया गया है। इस बीच नवाब मलिक के लिए एक राहत भरी खबर भी है। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक हिरासत से बाहर निकालने की मांग वाली नवाब मलिक की याचिका पर सुनवाई पर सहमति जताई है। चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच ने कहा कि हम इस पर सुनवाई के लिए तैयार हैं। हालांकि बेंच ने सुनवाई की तारीख नहीं बताई है। गौरतलब है कि फरवरी में नवाब मलिक की ओर से दायर अर्जी को बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
नवाब मलिक का पक्ष रखते हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने बुधवार को अदालत से मांग की कि इस मसले की अर्जेंट सुनवाई होनी चाहिए। सिब्बल ने इस दौरान ईडी के ऐक्शन पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट 2005 में आया था और जिन ट्रांजेक्शंस को लेकर कार्रवाई की जा रही हैं वे सन् 2000 से पहले की हैं। ऐसे में यह गलत है। आखिर 22 साल पहले हुईं ट्रांजेक्शंस के आधार पर अब कैसे कार्रवाई हो रही है और उसमें भी लेनदेन के बाद बने कानून के आधार पर यह ऐक्शन लिया जा रहा है, जो पूरी तरह से गलत है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हां, हम इस केस की लिस्टिंग करेंगे।