मुंबई में शुरू हुई देश की पहली मोनो रेल की रफ़्तार सुस्त पड़ गई है। ‘कमाई अत्यंत कम और खर्च बहुत ज्यादा’ की स्थिति को देखते हुए एमएमआरडीए इसे बेचने की तैयारी में है। एमएमआरडीए द्वारा संचालित मोनो रेल प्रोजेक्ट को निजी कंपनी के हांथों दिए जाने पर विचार किया गया है। इस परियोजना पर लगभग 3,000 करोड़ रुपये की लागत आई है। मोनो को पहले ही यात्रियों का टोटा था, कोरोना के चलते पिछले 15 माह से स्थिति और बिगड़ गई। वैसे भी कोरोना प्रतिबंध ने एमएमआरडीए की सभी परियोजनाओं को प्रभावित किया है। काम में देरी से कारण लागत में भारी वृद्धि हुई है
मोनो संचालन में समस्या
देश की पहली मोनो के संचालन में समस्या आ रही है। विश्व स्तर पर भी मोनोरेल संचालन की क्षमता वाली कंपनियां कम हैं। कुल परिवहन व्यवस्था में मोनोरेल का अनुपात 5 प्रतिशत से भी कम है। बढ़ते घाटे को देखते हुए एमएमआरडीए मोनोरेल के संचालन और प्रबंधन किसी निजी कंपनी को देने का विचार कर रहा है।
सरकार से मदद की आस
एमएमआरडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मोनो को निजी हाथों में सौंपने के पहले सरकार से मंजूरी लेनी होगी। इसके अलावा सरकार से और क्या मदद मिलती है, इस पर मोनो का संचालन निर्भर हो सकेगा, हालांकि कई बार मोनो के पार्ट्स न मिलने आदि तकनीकी कारणों से संचालन प्रभावित होता रहा है।
साबित हो रहा सफेद हाथी
मोनोरेल की फ्रीक्वेंसी बढ़ाने के लिए नई ट्रेनों की जरूरत है। इसके लिए लगभग 300 करोड़ रुपये की जरूरत है। गत फरवरी में पेश बजट में 120 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। हालांकि, इसके तीन गुना फंड की आवश्यकता है। संचालन में बढ़ते घाटे के चलते मोनो रेल प्रोजेक्ट सफेद हाथी साबित हो रहा है। एमएमआरडीए का ध्यान मेट्रो प्रोजेक्टस को पूरा करने में है। मोनोरेल परियोजना के संचालन और रखरखाव की लागत सैकड़ो करोड़ में है। इस समय कोरोना पाबंदियों को देखते हुए प्रशासन ने चेंबूर-वडाला -जैकब सर्किल के बीच चलने वाली मोनोरेल में क्षमता के एक तिहाई को यात्रा की अनुमति दी है। नतीजतन मुंबई मोनोरेल का राजस्व कम है और खर्च बहुत अधिक है। एमएमआरडीए ने 2021-22 में 29.25 करोड़ रुपये का लक्ष्य बनाया है, जबकि वित्त वर्ष में लगभग 8 करोड़ रुपये ही एकत्र हो पाया है। कोविड महामारी की वजह से मोनो के संचालन पर और भी असर पड़ा है। सुबह 6.24 बजे से लेकर देर रात को 11.03 बजे तक मोनो की रोजाना 68 ट्रिप चलाई जाती है, लेकिन यात्री काफी कम रहते हैं। एमएमआरडीए ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को आकर्षित करने प्रयास करता रहा है। एक अधिकारी के अनुसार जरूरी स्पेयर पार्ट्स की सोर्सिंग और नए कोच की व्यवस्था भी की जा रही है।