मुंबई – मुंबई मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल के तबादले का आदेश देकर चुनाव आयोग ने घाती सरकार को जोरदार झटका दिया है। चुनाव आयोग के सख्त आदेश पर इकबाल सिंह चहल का तबादला किया गया है। चहल के तबादले को रोकने के लिए शिंदे सरकार ने चुनाव आयोग से दो बार सिफारिश की थी कि मनपा आयुक्त पर तीन साल का नियम न लागू किया जाए। हालांकि, सोमवार को चुनाव आयोग ने शिंदे सरकार की मांग को दूसरी बार खारिज कर दिया। इससे एक तरह से न केवल शिंदे सरकार के मंसूबों पर पानी फिर गया, बल्कि उसे करारा झटका भी लगा है। चुनाव आयोग ने ही चहल को पद से हटाया है। चहल पिछले दो वर्षों से घाती शिंदे के आदेश पर मनपा के खजाने को जमकर खाली कर रहे थे। उनको हटाया जाना घाती सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
इकबाल सिंह चहल वर्ष १९८९ कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। अपने कार्यकाल में इन्होंने महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। महाविकास आघाड़ी सरकार के कार्यकाल के दौरान इन्हें मनपा आयुक्त पद पर नियुक्त किया गया, लेकिन मनपा में उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्हें मनपा का प्रशासक बना दिया गया। घाती सरकार के आदेश पर चहल ने लगभग १ लाख करोड़ रुपए के कार्यों को मंजूरी दी है। घाती सरकार के कार्यकाल में चहल के जरिए रास्ता घोटाला, स्ट्रीट फर्नीचर घोटाला, सौंदर्यीकरण घोटाला आदि को अंजाम दिया गया। अस्पतालों के आधुनिकीकरण, स्वच्छ सड़क अभियान के तहत हजारों करोड़ों रुपए के खर्चे को मंजूरी दी गई। आरोप लगने के बाद निविदा रद्द कर नई निविदा जारी करने से वे विवादों में आ गए थे।