सेवानिवृत्त सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) शमशेर खान पठान ने आरोप लगाया है कि मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परम बीर सिंह द्वारा आतंकवादी अजमल कसाब से बरामद फोन जांच या परीक्षण के दौरान पेश नहीं किया गया था। उन्होंने इस संबंध में इस साल जुलाई महीने में वर्तमान मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी।
कसाब लश्कर-ए-तैयबा के दस आतंकवादियों में से एक था, जो पाकिस्तान से समुद्री मार्ग से मुंबई आया था। आतंकवादियों ने 26 नवंबर, 2011 को मुंबई में कई जगहों पर हमले किए। इसमें कई लोगों की जान चली गई। कई पुलिसकर्मी भी शहीद हुए। जवाबी कार्रवाई में नौ आतंकवादी मारे गए। कसाब को जिंदा पकड़ा गया। उसे 2012 में मौत की सजा सुनाई गई थी।
मुंबई पुलिस प्रमुख को लिखे पत्र में, पठान ने कहा, “26/11 के आतंकवादी हमलों के दौरान, तत्कालीन डीआईजी एटीएस परम बीर सिंह ने आतंकवादी अजमल कसाब के फोन को जब्त कर लिया। फोन कभी भी जांच या परीक्षण के दौरान पेश नहीं किया गया।”
उन्होंने कहा, “मैंने इस साल जुलाई में इस बारे में एक पत्र लिखा था। उन्हें (परम बीर सिंह) सबूतों को नष्ट करने के लिए एनआईए द्वारा गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बरामद सबूत को आईएसआईएस को बेच दिया होगा या फिर जबरन वसूली के लिए जानकारी का इस्तेमाल किया होगा।”
इस मामले में सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने कहा, “मेरे पास इस बारे में सटीक जानकारी नहीं है। लेकिन मुझे पता है कि मुकदमे के दौरान कसाब का फोन हमारे पास नहीं था। इसलिए फोन पेश नहीं किया गया। केवल जांच अधिकारी या संबंधित लोग ही प्रतिक्रिया दे सकते हैं। मुझे पता है कि उन 10 हमलावरों को 5 समूहों में वितरित किया गया था और प्रत्येक समूह के पास 1 मोबाइल फोन था। कसाब का फोन परीक्षण के दौरान उपयोग में नहीं था।”
निकम ने आगे कहा, “अगर ट्रायल के दौरान सबूत के तौर पर फोन हमारे पास होता तो हम उसके पाकिस्तानी आकाओं के साथ उसके जुड़ाव के बारे में और भी तथ्य साबित कर सकते थे।”