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परमबीर सिंह ने पैसे मांगने के अवैध काम में शामिल ना होने की सलाह दी थी, जांच आयोग से बोले सचिन वाजे

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बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे ने शुक्रवार को जांच आयोग के सामने कहा कि आईपीएस अफसर परमबीर सिंह ने उन्हें सलाह दी थी कि वो पैसे लेने के अवैध काम में शामिल ना हों। 6 महीने के बाद अचानक नजर आए परमबीर सिंह के बारे में बताया जा रहा है कि खुद भी सोमवार को के यू चांदिवाल कमिशन के सामने हाजिर होंगे, जहां उनसे इस मामले में पूछताछ होगी। एक सदस्यीय आयोग परमबीर सिंह के उन आरोपों की जांच कर रहा है जो उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगाए हैं। परमबीर सिंह का आरोप है कि तत्कालीन गृहमंत्री ने वाजे समेत अन्य पुलिस अधिकारियों से कहा था कि वो मुंबई के बार और रेस्टुरेंटों से 100 करोड़ रुपए की उगाही करें। 

देशमुख के वकील अनिता कैसटेलिनो ने वाजे से कुछ सवाल किये थे। आयोग के सामने वाजे द्वारा दिये गये एफेडेविट से पहले वकील ने वाजे से पूछा था कि क्या तत्कालीन मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह ने कभी उन्हें सलाह दी थी कि वो किसी दबाव इत्यादि में आकर पैसे वसूलने के अवैध काम में शामिल ना हों। वाजे ने प्रतिक्रिया दी थी कि आईपीएस अफसर ने उन्हें ऐसा करने की सलाह दी थी। जब वाजे से पूछा गया कि क्या उन्होंने उनकी सलाह मानी…तब उन्होंने हां में जवाब दिया। वाजे ने खुद को अच्छा अफसर बताया।

परमबीर के वकील जांच आयोग से कहा कि शुक्रवार को अपने खिलाफ एक केस के सिलसिले में ठाणे गए हुए थे। इसलिए आईपीएस अफसर आयोग के सामने उपस्थित नहीं हो सके। आय़ोग ने चेताया था कि अगर परमबीर सिंह हाजिर नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ गैर-जमानतीय वारंट जारी किया जाएगा। अब उनके वकील ने कहा है कि परमबीर सिंह शनिवार या किसी अन्य दिन आयोग के सामने आएंगे

आयोग की तऱफ से कहा गया है कि वो शनिवार को नहीं बैठते हैं। परमबीर सिंह सोमवार को आ सकते हैं। इधर मुंबई पुलिस के पू्र्व आयुक्त परमबीर सिंह उनके खिलाफ पड़ोस के ठाणे जिले में दर्ज जबरन वसूली के एक मामले की जांच के सिलसिले में शुक्रवार को पुलिस अधिकारियों के समक्ष पेश हुए। सूत्रों ने बताया कि सिंह सुबह साढ़े 10 बजे के करीब अपने वकील के साथ ठाणे नगर पुलिस थाना पहुंचे। उन्होंने बताया कि जांच दल संभवत: उनका बयान दर्ज करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि जोनल पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अविनाश अंबुरे जांच की निगरानी के लिए थाना में मौजूद थे। 

ठाणे पुलिस ने इस साल जुलाई में बिल्डर केतन तन्ना की शिकायत के आधार पर सिंह और 28 अन्य के खिलाफ रंगदारी (जबरन वसूली) का मामला दर्ज किया था। तन्ना ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि जब सिंह 2018 और 2019 में ठाणे के पुलिस आयुक्त थे, तब उन्होंने और अन्य आरोपियों ने उससे 1.25 करो़ड़ रुपये की जबरन वसूली की थी और उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी थी। शिकायत के मुताबिक, आरोपियों ने इसी तरह से तन्ना के दोस्त सोनू जालान से भी तीन करोड़ रुपये की रंगदारी वसूली थी। इस मामले में सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था।

सिंह के अलावा मामले में सेवानिवृत्त निरीक्षक प्रदीप शर्मा, निरीक्षक राजकुमार कोठमिरे और डीसीपी दीपक देवराज के नाम भी आरोपियों के तौर पर शामिल हैं। इस मामले में अब तक दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जिसमें से एक को कुछ दिन पहले एक अदालत से जमानत मिली थी। सिंह के खिलाफ महाराष्ट्र में जबरन वसूली के कुल पांच मामले दर्ज हैं जिनमें से दो मामले ठाणे में दर्ज हैं। ठाणे पुलिस ने इन दो मामलों की जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया है।

हाल में, एक अदालत ने सिंह को भगोड़ा घोषित किया था और कई महीनों तक उनका कुछ अता-पता नहीं था। वह बृहस्पतिवार को मुंबई पहुंचे। उनके आने के बाद मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने जबरन वसूली के एक अलग मामले में उनसे सात घंटे तक पूछताछ की। उन्हें इस साल मुंबई पुलिस के शीर्ष अधिकारी के पद से उस समय हटा दिया गया था, जब उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर ‘एंटीलिया’ के पास एक एसयूवी मिलने के मामले में पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को गिरफ्तार किया गया था और कारोबारी मनसुख हिरन की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। एंटीलिया के पास मिले वाहन में विस्फोटक बरामद हुए थे। उच्चतम न्यायालय ने कुछ दिन पहले ही सिंह को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया था।

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