राज्य के फोन टैपिंग मामले में स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट के तत्कालीन आयुक्त डॉ. रश्मी शुक्ला के वकील ने कोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। महाराष्ट्र सरकार ने ही रश्मी शुक्ला को कुछ लोगों के फोन टैप करने की अनुमति दी थी। ऐसा वकील ने कोर्ट में कहा था। महाराष्ट्र पुलिस दल में कथित तौर पर तबादले में भ्रष्टाचार की शिकायत की सच्चाई जानने के लिए यह अनुमति दी थी, यह जानकारी शुक्ला की ओर से वकील ने दी।
रश्मी शुक्ला की याचिका पर उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति एस.एस.शिंदे और एन.जे. जमादार के खंडपीठ के सामने हुई। मुंबई पुलिस द्वारा शुक्ला पर दर्ज किए गए एफआईआर को उन्होने चुनौती दी है। इस संबंध में हुए सुनवाई में शुक्ला के वकील महेश जेठमलानी उच्च न्यायालय को जानकारी देते हुए कहा कि महाराष्ट्र के डीजीपी ने कुछ फोन नंबर को टैप करने का आदेश दिया था। यह नंबर राजनीतिक व्यक्ति से संबंध रखनेवाले कुछ मध्यस्थों के थे। भ्रष्टाचर में लिप्त यह व्यक्ति इच्छित जगह पर तबादला कराने के लिए पुलिस अधिकारियों से बड़ी रकम वसूलते थे।
शुक्ला के वकील महेश जेठमलानी ने कोर्ट से कहा कि डीजीपी के आदेश पर शुक्ला शुक्ला ने यह कार्रवाई की। वो सिर्फ आदेश का पालन कर रही थी। शुक्ला ने भारतीय टेलीग्राफ नियम के अनुसार राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव सीताराम कुंटे की अनुमति ली थी।
17 जुलाई से 29 जुलाई 2020 के दौरान कुंटे ने फोन टैपिंग के संदर्भ में अनुमति दी थी। हालांकि उसके बाद उन्होने कहा कि अनुमति मांगते समय गलत जानकारी दी गई। अब शुक्ला को बली का बकरा बनाया जा रहा है।
अपराध रोकने के लिए वायरलेस संदेश टैप करना वैध है, ऐसा जेठमलानी ने कहा। इस बीच रश्मी शुक्ला केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैदराबाद में कार्यरत है।