देश-दुनिया के इतिहास में 19 सितंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख सिंधु नदी जल समझौते के लिए अहम मानी जाती है। दरअसल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तब नया देश पाकिस्तान बना। दोनों देशों के बीच कश्मीर और बाकी विवादों की तरह एक और विवाद सिंधु नदी के पानी को लेकर था।
सिंधु नदी का इलाका करीब 11.2 लाख किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। यह इलाका पाकिस्तान (47 प्रतिशत), भारत (39 प्रतिशत), चीन (आठ प्रतिशत) और अफगानिस्तान (छह प्रतिशत) में है। करीब 30 करोड़ लोग सिंधु नदी के आसपास के इलाकों में रहते हैं। बंटवारे के दौरान सिंधु नदी घाटी और इसकी नहरों को भी बांटा गया, लेकिन पाकिस्तान अपने हिस्से के पानी के लिए पूरी तरह भारत पर निर्भर था। पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति के लिए तय किया गया कि 31 मार्च 1948 तक पाकिस्तान को पानी का एक निश्चित हिस्सा दिया जाएगा। पहली अप्रैल 1948 को भारत ने नहरों का पानी रोक दिया। इससे पाकिस्तान में हालात खराब हो गए।
दोनों देशों के बीच कई दौर की बैठकें चलीं और आखिरकार 19 सितंबर 1960 को सिंधु नदी जल समझौता हुआ। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद अयूब खान ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसे इंडस वाटर ट्रीटी भी कहते हैं।
समझौते के तहत सिंधु नदी घाटी की नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में बांटा गया। पूर्वी क्षेत्र की तीनों नदियां- रावी, ब्यास और सतलज भारत को दी गई। पश्चिमी क्षेत्र की नदियों- सिंधु, चिनाब और झेलम का कुछ पानी पाकिस्तान को भी देने का समझौता हुआ। पाकिस्तान के हिस्से की नदियों के पानी का सीमित इस्तेमाल करने का अधिकार भारत को भी है, जैसे- बिजली बनाना, सिंचाई आदि।